🚩मातृ-पितृ पूजन दिवस 14 फरवरी को ही आशारामजी बापू ने क्यो शुरू किया ?

09 फरवरी 2021
azaadbharat.org

🚩साल 2006 से हिंदु संत आशाराम बापू के कहने पर उनके करोड़ो अनुयायी 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन पर्व मनाते है और 14 फरवरी से पहले ही विद्यालयों-महा विद्यालयों, सोसायटियों व संस्थाओं में जाकर मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम करते है। अब 14 फरवरी को ही बापू आशारामजी ने मातृ-पितृ पूजन क्यों शुरू किया उसके लिए उनके द्वारा उसका कारण बताया गया यहाँ आपको बता रहे हैं। https://youtu.be/jzhl__nOzXk

🚩बापू आशारामजी ने बताया था कि ‘वेलेंटाइन डे’ के दिन लड़के-लड़कियाँ एक दूसरे को फूल देकर ‘आई लव यू’ बोलते हैं । इन्नोसंटी रिपोर्ट कार्ड के अनुसार 28 विकसित देशों में हर साल 13 से 19 साल तक की 12,50,000 लड़कियाँ गर्भवती हो जाती हैं । उनमें से लगभग 5 लाख तो गर्भपात कराती हैं और 7,50,000 बच्चियाँ माँ बन के या तो सरकारी नर्सिंग होम, सरकार एवं माँ-बाप पर बोझ बन जाती हैं या तो फिर वेश्या का धंधा आदि करती हैं । तो यह गंदगी अब हमारे देश (भारत) में घुस गयी है । ‘वेलेंटाइन डे’ पर 5 महानगरों में सैकड़ों करोड़ की दारू बिकी जिसे निर्दोष बच्चे-बच्चियों ने पिया । सैकड़ों लड़के-लड़कियाँ भाग जाते हैं 14 फरवरी को ।

🚩यदि लड़का दारू पीकर पड़ा रहे तो उसकी माँ कितनी दुःखी होगी ! स्कूल में जानेवाली लड़की दारू पिये तो उस लड़की से उसकी माँ क्या उम्मीद कर सकती है और क्या उम्मीद कर सकता है वह जो उससे विवाह करेगा ? यह बड़ा गम्भीर विषय है ! तो मेरा हृदय पीड़ित हो गया । इसीलिए मैंने भगवान को प्रार्थना की और भगवान ने मुझे प्रेरित कर दिया । मैंने 14 फरवरी को ‘वेलेंटाइन डे’ की जगह ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने का आह्वान किया । बच्चे-बच्चियाँ ‘प्रेम दिवस’ मनायें लेकिन अपने माँ-बाप को प्रेम करें । माँ-बाप ऐसे ही मेहरबान होते हैं लेकिन उस मेहरबान माता-पिता को जब आप तिलक करोगे, बेटा पिता को तिलक करे व चरण धोये और बेटी माता को तिलक करे व चरण धोये, दोनों हार पहनायें और उनकी प्रदक्षिणा करें तो माँ-बाप तो मेहरबान होंगे लेकिन माँ-बाप का जो अंतरात्मा है वह भी बरस जायेगा और मेरे बच्चे-बच्चियों की जिंदगी सँवर जायेगी ।

🚩मने फिर ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ शुरू किया । गणपतिजी का पूजन करो, भगवान सद्बुद्धि देंगे; माँ-बाप की भी जिंदगी सँवरेगी और बच्चे-बच्चियों की भी जिंदगी सँवरेगी।

🚩म यही भिक्षा माँगता हूँ बस ! – आशारामजी बापू

🚩‘वेलेंटाइन डे’ की जगह पर ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाओ, मैं यही भिक्षा माँगता हूँ आप लोगों से बस ! करोड़ों माताओं व पिताओं के दिल की दुआ ले लो । हजारों-लाखों बच्चों की नष्ट होती जिंदगी को बचा लो, बस । मुझे आपका रुपया-पैसा कुछ नहीं चाहिए । आप मेरी ‘जय’ बोलो तो मुझे अच्छा नहीं लगता । फूल की पंखुड़ी भी आपकी मुझे नहीं चाहिए लेकिन आपका स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन हो, यह मैं चाहता हूँ । मैं यह नहीं चाहता कि मेरे को कोई यश दो, भले सभी सरकारों को यश जाय लेकिन बच्चों की जिंदगी तबाही से बचे और उनके माँ-बाप बुढ़ापे में कराहने से बचें । जो छोरे अपने को नहीं सँभाल पाते हैं वे बूढ़े माँ-बाप की क्या सेवा करेंगे ! विदेशों की तरह नर्सिंग होम में रख देंगे । हमारे यहाँ भी माँ-बाप के लिए वृद्धाश्रमों की जरूरत पड़ रही है, शर्म की बात है ! नहीं… नहीं… बच्चों की देखभाल माँ-बाप करें और माँ-बाप की देखभाल बच्चे करें, यह हमारी भारतीय संस्कृति है ।

🚩सभी धर्म के लोग तो यही चाहते हैं… – बापू

🚩चाहे ईसाई के बच्चे हों, वे भी उन्नत हों और ईसाई, मुसलमान, पारसी, यहूदी… सभीके माता-पिता संतुष्ट रहें । किसके माता-पिता संतुष्ट होंगे कि हमारे बेटे-बेटियाँ विद्यार्थीकाल में एक-दूसरे को फूल दें, ‘आई लव यू, लव यू…’ करके कुकर्म करें और यादशक्ति गँवा दें ! किसीके भी माँ-बाप ऐसा नहीं चाहेंगे । इसीलिए मैंने यह अभियान शुरू किया है और यह अभियान जिनको अच्छा नहीं लगता है वे कुछ-का-कुछ करवाकर मेरे को बदनाम करना चाहते हैं । यह मेरी बदनामी नहीं है, मानवता की बदनामी है भैया ! मैं हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ, मेरी बदनामी आप खूब करो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है । बस, एक मानवता के उत्थान में आप अड़चन मत बनो । आप तो सहभागी हो जाओ ।

🚩सभी धर्मों को लाभान्वित कर रहा है मातृ-पितृ पूजन दिवस : बापू

🚩सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । भारत ‘हिन्दू भवन्तु सुखिनः’ नहीं कहता है, ‘सर्वे’ कहता है । ‘सर्वे’ में ईसाई, पारसी सब आ गये । अभी मैं ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के लिए सिर्फ हिन्दुओं को नहीं आवाहन करता हूँ कि ‘हिन्दू बच्चे मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाओ’ – ऐसा नहीं, सभी मनाओ । कोई ईसाई नहीं चाहता कि मेरी कन्या विद्यालय जाते-जाते गर्भवती हो जाय । कोई मुसलमान या यहूदी, पारसी भी नहीं चाहता तो हिन्दू कैसे चाहेगा कि मेरी कन्या विद्यालय में जाय और हवस की शिकार बन जाय । तो सभी मुसलमानों का, सभी ईसाइयों, यहूदियों, पारसियों तथा हिन्दुओं का भविष्य मंगलमय हो और उनके बच्चों का जीवन मंगलमय हो इसीलिए मैंने मातृ-पितृ पूजन दिवस अभियान छेड़ा है ।

🚩सभी अपने माँ-बाप का पूजन करो, सत्कार करो लेकिन ‘आई लव यू’, ‘तू नहीं तो और सही’ – यह लोफरों का रास्ता छोड़ो, नेक इन्सान बनो । आपके दादा-दादी ऐसे थे क्या ? बुद्ध ने ‘वेलेंटाइन डे’ मनाया होता तो ‘भगवान बुद्ध’ नहीं होते । हमने ऐसा किया होता तो हम ‘आशाराम बापू’ नहीं बनते । नरेन्द्रजी ने ऐसा किया होता तो ‘स्वामी विवेकानंद’ नहीं बनते।

🚩अतः मैं तो चाहूँगा कि भारत के युवक-युवतियाँ तो माँ-बाप का आदर-पूजन करें लेकिन जो बेचारे विदेशी भटक गये हैं वे भी अपने माता-पिता का आदर करें । हम पड़ोस की बहन को फूल देकर बुरी नजर से देखें, पड़ोस की बहन हमको बुरी नजर से देखे – काहे को ऐसा करना ? पड़ोस की बहन का भला हो, पड़ोस के भाइयों का भला हो । माता-पिता का मंगल हो, बच्चे-बच्चियों का मंगल हो ! ईसाई भी सुखी रहें, मुसलमान भी सुखी रहें, पारसी व यहूदी भी सुखी रहें । सभी देशवासियों का, विश्ववासियों का, सभीका मंगल हो ! प्राणिमात्र सुखी रहे।
(ऋषि प्रसाद, फरवरी 2014 से साभार)

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