वे चेहरे जिनकी लिंचिंग पर मीडिया शांत रहा क्योंकि ये शांतिप्रिय समुदाय से नहीं थे ।

19 फरवरी 2021

 
अखलाक की मौत पर राजनेताओं की भीड़ आपको याद है? परंतु निकिता तोमर, रचित चौधरी और रिंकू शर्मा के लिए किसी राजनेता के पास समय नहीं है। पालघर के सन्यासियों के लोमहर्षक हत्याकांड पर रविश कुमार 33 सेकण्ड तक बोला पर चोर तबरेज आलम के लिए 33 घंटे से अधिक। ‘प्रेस्टीच्यूट’ चुप है क्योंकि निकिता तोमर, रचित चौधरी और रिंकू शर्मा के हत्यारे सेक्युलर हैं और इनकी हत्या गंगा जमनी तहजीब को मजबूती देती है। मोमबत्ती और तख्ती गैंग भी पता नहीं कहाँ गायब है? 
 

 

 

 
कुछ दिन पहले कोर्ट ने पालघर के संतों के सभी हत्यारोपियों को छोड़ दिया। जिस घटना के वीडियो हैं उसमें सबूतों के अभाव के कारण सभी अपराधी छोड़ दिए जाएँ तो जाँच और न्याय व्यवस्था पर प्रश्न उठता ही है। 
 
जरा सोचिए, पालघर में संतों की लिंचिंग जैसी घटना अगर किसी समुदाय विशेष के या इसी गिरोह के किसी व्यक्ति के साथ घटी होती तो आज कितना हंगामा होता। इस हैवानियत के शिकार भगवा धारण किए साधु थे। तो फिर उनकी अंतरात्मा क्यों ही जागृत हो?
 
महाराष्ट्र के पालघर जिले के यह ऐसे कुछ इलाके हैं, जहाँ प्रायः कोंकणा, वारली और ठाकुर जनजाति के लोग रहते हैं। आधुनिक विकास से वंचित इन दूरदराज के गांवों में कई वर्षों से क्रिश्चियन मिशनरी और वामपंथियों ने अपना प्रभाव क्षेत्र बनाया हुआ है।
 
कुछ वर्षों में वामपंथी और मिशनरी प्रभावित जनजाति प्रदेशों में, जनजाति समुदाय के मतांतरित व्यक्तियों द्वारा अलग धार्मिक संहिता की माँग हो रही है। उन्हें बार-बार यह कह कर उकसाया जाता रहा है कि उनकी पहचान हिन्दुओं से अलग है।
लगभग 2 सप्ताह पहले बिजनौर के रचित की निर्मम हत्या हो या पिछले सप्ताह दिल्ली के रिंकू शर्मा की चाकूओं से की हत्या। सभी बता रहे हैं कि अपराधी कानून पुलिस और न्याय व्यवस्था से नहीं डरते। 
 
कुछ नाम देखिए —
 
1• विष्णु गोस्वामी– 16 मई 2019 को यूपी के गोंडा जिले में इमरान, तुफैल, रमज़ान और निज़ामुद्दीन ने विष्णु गोस्वामी को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। विष्णु की गलती बस ये थी कि वे अपने पिता के साथ लौटते हुए सड़क के किनारे लगे नल पर पानी पीने लगा था। बस इसी दौरान इन्होंने विष्णु व उसके पिता से विवाद बढ़ाया और बात खींचने पर उसे पेट्रोल डालकर आग के हवाले झोंक दिया।
 
2• वी.रामलिंगम– तमिलनाडु में दलितों के इलाके में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को चलता देख वी राम लिंगम ने पीएफआई के कुछ लोगों का विरोध किया था। जिसके बाद 7 फरवरी को पट्टाली मक्कल काची के नेता की घर से खींचकर हत्या कर दी गई । इस मामले में पुलिस ने पाँच लोगों को हिरासत में लिया था- निजाम अली, सरबुद्दीन, रिज़वान, मोहम्मद अज़रुद्दीन और मोहम्मद रैयाज़।
 
3• ध्रुव त्यागी– बेटी के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर 51 वर्षीय ध्रुव त्यागी को सरेआम सबके सामने मोहम्मद आलम और जहाँगीर खान ने धारधार हथियारों से राष्ट्रीय राजधानी के मोती नगर में मौत के घाट उतारा था। इसके बाद इन हत्यारों ने ध्रुव त्यागी के बेटे पर भी हमला किया था। हालाँकि, उस समय पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। मगर बाद में पुलिस को पड़ताल से पता चला कि उस दिन उन्हें 11 लोगों ने घेर कर मारा था।
 
4• भरत यादव – मथुरा मे लस्सी बेचने वाले भरत यादव ने लस्सी के पैसे मांगे तो हानिफ, फहीम व 14 लोगों ने मिलकर इतना मारा कि 2 दिन बाद हॉस्पिटल मे मृत्यु हो गई। 
 
5• निकिता तोमर -बल्लभगढ़ की निकिता तोमर को सरे आम तौसीफ ने इसलिए गोलियों से भून दिया क्योंकि वह तौसीफ से निकाह नहीं करना चाहती थी। 
 
6• रतन लाल– 24-25 फरवरी को उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में वीरगति को प्राप्त हुए रतन लाल का नाम शायद ही आने वाले समय में कोई भूल पाए। एक ऐसा वीर जिसने दिल्ली को जलने से रोकने के लिए खुद को इस्लामिक भीड़ का बलि बना दिया। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स से पता चला था कि पत्थरबाजी के कारण नहीं बल्कि रतन लाल की मौत गोली लगने के कारण हुई थी।
 
7• प्रीति रेड्डी– हैदराबाद का वो मामला जिसने 2019 साल नवंबर महीने के खत्म होते-होते सबको झकझोर दिया। शमसाबाद के टोल प्लाजा के पास घटी घटना में मुख्य आरोपित मोहम्मद पाशा था। जिसने अपने अन्य तीन साथियों के साथ मिलकर उस महिला डॉक्टर का गैंगरेप किया। फिर उसे पेट्रोल डालकर जलने को छोड़ दिया।
 
ऐसी तो एक बहुत बड़ी लिस्ट है यहाँ तो आपको कुछ ही उदाहरण दिए हैं बस, इतना समझ लो कि यह लोग सनातन धर्म को मिटाने में लगे हैं। अगर नहीं संभले जाति -पाति में बंटते रहे, अपने धर्मगुरुओं की खिल्ली उड़ाते रहे तो ये गिद्ध आपको स्वाहा कर देंगे इसलिए सतर्क रहें।
 
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