रेप कानून के दुरुपयोग के कारण एक संत को करनी पड़ी आत्महत्या, कब बदलाव होगा?

28 मई 2020
 
🚩प्रतापगढ़ जिला न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि 90 प्रतिशत बलात्कार के केस साबित ही नही हो पाते हैं। दलालों के माध्यम से प्रतिवर्ष काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैं।
 
🚩बलात्कार के कड़े कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए थे लेकिन इन कानूनों का कुछ गिरोह अथवा महिलाओं द्वारा भयंकर दुरुपयोग किया जा रहा है, इस कानून के दुरुपयोग से निर्दोष पुरुषों की ज़िंदगी तबाह हो रही है। कुछ पुरुष निर्दोष होते हुए भी आरोपी सिद्ध होकर सालों साल जेल की प्रताड़ना सहन करते हैं बाद में निर्दोष बरी होते हैं। कुछ पुरुष तो आरोप के सदमे में खुदकुशी तक कर लेते हैं।
 
🚩संत ने त्याग दी देह…
 
🚩राजस्थान के राजसमंद के भीम उपखंड में मंदिर के संत ने सोमवार को आश्रम स्थित पीपल के पेड़ पर फंदा लगाकर देह त्याग दी। इससे पहले संत ने वीडियो वायरल कर खुद पर लगे दुष्कर्म के आरोप को झूठा बताया। उन्होंने एक दंपती और महिला आयोग की सदस्या पर रुपए वसूलने का आरोप लगाया। 
 
🚩संत पर 20 मई को दिवेर थाने में नशीला पेय पिलाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगा था। थानाधिकारी लक्ष्मण सिंह चुंडावत ने बताया कि प्रेमदास (50) ने पीपल के पेड़ पर फंदे पर लटक आत्महत्या कर ली।
 
🚩संत पर एक महिला ने 21 मई को दुष्कर्म का केस दर्ज करवाया था। पुलिस संत की तलाश में थी।
 
🚩गुणिया निवासी एक दंपती 20 अप्रैल को संत प्रेमदास के आश्रम पर पेट दर्द की समस्या लेकर पहुंचा था। उसके एक माह बाद पति ने फिर से संत के पास जाने को कहा। महिला ने वहां से लौटकर बताया कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया। दंपती ने 20 मई को एसपी ओफिस में शिकायत की। इसके बाद 21 मई को दिवेर थाने में संत प्रेमदास के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में केस दर्ज किया गया। जांच के लिए पुलिस आश्रम पहुंची तो संत नहीं मिले। इस दौरान आश्रम पर रहने वाले छगनलाल सुथार को संत के आने पर पुलिस को सूचना देने के लिए कहा गया।
 
🚩सोमवार सुबह छगनलाल आश्रम गया तो संत को पेड़ पर लटका देखकर ग्रामीणों को सूचना दी। छगनलाल ने बताया कि रविवार रात आश्रम से गया तो संत नहीं थे। संत ने आत्महत्या से पहले एसपी के नाम एक वीडियो बनाकर वायरल किया। इसमें दंपती समेत महिला आयोग की सदस्या पर 25 लाख रुपए वसूलने का आरोप लगाया। रुपए नहीं होने पर आत्म-सम्मान और संत सम्मान को बचाने के लिए देहत्याग करने का कदम उठाया।
 
🚩आगे की जांज होगी तब पता चलेगा कि सही क्या है? लेकिन इस तरह की घटनाएं पहले भी बहुत हुई है जिसके कारण निर्दोष पुरुषों को आत्महत्या करनी पड़ी है, इस कानून के जरिये पैसे ऐंठने का धंधा शुरू किया गया है, इसमे भी हिंदू साधु-संतों को खास निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि साधु-संत सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए कार्य करते हैं, धर्मातरण का विरोध करते हैं, घरवापसी कार्यक्रम चलाते हैं, विदेशी सामान का बहिष्कार करके स्वदेशी का प्रचार करते हैं, व्यसन मुक्त समाज को बनाते है और भी समाज की कई बुराइयां को दूर करते हैं और राष्ट्र के लिए जनता को जागरूक करते हैं, इन कारणों से भी साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है, आज भी एक निर्दोष संत 7 साल से जेल में बंद हैं, कई साधु-संत सालो से जेल में रहकर निर्दोष बरी हुए।
 
🚩रेप कानूनों का निर्माण महिला सुरक्षा के लिये किया गया लेकिन कुछ गिरोह और पथभ्रष्ट महिलाएं इसका धड़ल्ले से दुरुपयोग कर रही हैं। सरकार को इन पथभ्रष्ट महिलाओं द्वारा किये जा रहे हर फर्जी केस पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए तथा ऐसी महिलाओं को कठोर से कठोर दंड देने चाहिए जो अपनी स्वार्थपूर्त्ति के लिए किसी के जीवन से खेल रही हैं।
 
🚩करोड़ों लोगों के आस्था-केन्द्र धर्मगुरुओं, प्रसिद्ध गणमान्य हस्तियों एवं आम लोगों को रेप एवं यौन-शोषण से संबंधित कानूनों की आड़ में फँसाकर देश की जड़ें काटी जा रही हैं। स्वार्थी तत्त्वों एवं राष्ट्र-विरोधी ताकतों का मोहरा बनी महिलाओं के कारण समस्त महिला समुदाय कलंकित हो रहा है। महिलाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, महिलाओं पर से लोगों का विश्वास घटता जा रहा है। इसलिए जनता की मांग है कि सरकार बलात्कार निरोधक कानूनों का दुरुपयोग रोकने के लिए इनमें शीघ्र संशोधन करें और पुरुष आयोग का गठन करें।
 
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