मीडिया बिकाऊ व देशद्रोही है, सस्ते में बिक जाती है – कंगना रनौत

11 जुलाई 2019
🚩इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया की समाज में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है । मीडिया को लोकतांत्रिक व्यवस्था का चौथा स्तंभ भी कहा गया है क्योंकि इसकी जिम्मेदारी देश और लोगों की समस्याओं को सामने लाने के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर नजर रखना भी है, लेकिन आज पैसे और टीआरपी की अंधी दौड़ में एक तरफा झूठी खबरों को दिखाकर अपनी विश्वसनीयता खो रही है। इसके कारण आज समाज का हर वर्ग मीडिया की आलोचना जरूर करता है।

🚩अभी वर्तमान में अभिनेत्री कंगना रनौत ने मीडिया की खूब आलोचना की है और वह सही भी है और जरूरी है क्योंकि मीडिया की असलियत सामने आनी चाहिए । जो मीडिया की बांतों पर आँखें मूंदकर विश्वास करते हैं उनके लिए यह जानना खास जरूरी है कि मीडिया कितनी बेईमान है ।

🚩भारतीय मीडिया को लेकर अभिनेत्री कंगना ने कहा, “मीडिया का एक सेक्शन ऐसा है जो दीमक की तरह हमारे देश में लगा है और धीरे-धीरे देश की गरिमा, अस्मिता एवं एकता पर आए दिन अटैक करता रहता है..झूठी अफवाहें फैलाता रहता है । गंदे-भद्दे देशद्रोहिता के विचार खुले तौर पर सबके सामने रखता है । इनके खिलाफ हमारे संविधान में किसी भी तरह की न तो कोई पेनाल्टी है और न ही कोई सजा है । इस चीज से मुझे बहुत ज्यादा ठेस लगी और मैंने खुद से निर्धारित कर लिया कि ये जो दोगली मीडिया एवं बिकाऊ मीडिया है जो खुद को लिबरल कहती है सेकुलर कहती है और कुछ भी नहीं है जो दसवीं फेल है… ये लोग सूडो लिबरल हैं और ये लोग बिल्कुल भी सेकुलर नहीं हैं। अगर ये लोग सेकुलर होते तो हमेशा धार्मिक चीजों को लेकर देश की एकता पर प्रहार नहीं करते।”
🚩कंगना ने कहा, “ऐसे ही एक चिंदी से जर्नलिस्ट को मैं एक-दो दिन पहले एक प्रेस कांफ्रेंस में मिली। उसी की तरह बहुत सारे लोग हैं जो हमारे सीरियस इश्यूज को, विश्व पर्यावरण दिवस के दिन मैंने प्लास्टिक बैन को लेकर कैम्पेन किया था जिसमें मैंने प्लास्टिक के खिलाफ काफी कुछ एक्टिविटीज की थी, इस जर्नलिस्ट को मैंने उसकी खिल्ली उड़ाते हुए देखा। फिर मैंने काऊ स्लाटर के अगेंस्ट, एनीमल क्रूलिटी के अगेंस्ट कैम्पेन किया उसका भी ये मजाक उड़ा रहा था। एक शहीद पे मैंने फिल्म बनाई उसके नाम की खिल्ली उड़ा रहा था। और प्लीज आप…ये गौर तलब, इनके पास किसी भी तरह का कोई तर्क वितर्क समीक्षा या विचार नहीं है जो एक पत्रकार का हक़ है। उस तरीके से नहीं गाली गलौज से कुछ करके गंदी बातें लिखके, प्रोफेशनल ट्रोल्स जो हैं…मुफ्त का खाना खाने पहुंच जाते हैं ये हर जगह प्रेस कांफ्रेंस में।”
🚩कंगना ने आगे बताया कि “मेरे पास किसी भी तरह के देश द्रोही के लिए जीरो परसेंट टॉलरेंस है। तो तीन चार लोगों ने मिलकर मेरे खिलाफ एक कोई गिल्ड बनाई जो अभी शायद कल ही बनी है। उसकी कोई मान्यता ही नहीं है। तो उस गिल्ड के चलते लोगों ने मुझे धमकी देना शुरू किया है कि मुझे बैन कर देंगे या मुझे कवर नहीं करेंगे, या मेरा करियर बर्बाद कर देंगे। अरे नालायकों, देशद्रोहियों, बिकाऊ लोगों तुम लोगों को खरीदने के लिए लाखों भी नहीं चाहिए। तुम लोग तो इतने सस्ते हो कि पचास साठ रुपये में बिछ जाते हो ।
जो अपनी देश के साथ गद्दारी करते हैं, जिसमें खाते हैं उसी में छेद करते हैं।
🚩कंगना की बात सहीं है क्योंकि मीडिया पैसे और टीआरपी के लिए जो अंधी दौड़ लगा रही है उससे देश को काफी नुकसान हो रहा हैं, इसके चलते झूठी एवं पक्षपाती खबरे दिखा रही है जिसके कारण आज जनता का मीडिया पर से विश्वास उठता जा रहा है।
🚩मीडिया के कवरेज में काफी बदलाव आया है । कई बार ऐसा लगता है कि मीडिया व्यक्ति-केंद्रित हो चुका है । कुछ  नाटकीयता और अतिरंजना के साथ कार्यक्रम परोस कर दर्शकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है ।
🚩ऐसा लगता है कि मीडिया अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से भाग रहा है । सामाजिक खबरें कम दिखाई देती हैं । आजकल टीवी चैनलों पर नेता ही दिखाई देते हैं ।
🚩टीवी पर नेताओं के भाषणों और बयानों से ही समाचार के वक्त भरे रहते हैं, वहीं अखबारों में विज्ञापन ज्यादा और खबरें कम दिखाई देती हैं ।
🚩देश में बहुत सारी समस्याएं हैं, लेकिन मीडिया को शायद उनसे कोई सरोकार नहीं है । चाहे हम किसानों की आत्महत्या की बात करें या फिर गरीबों पर होने वाले अत्याचारों, मीडिया में ऐसे मामलों को गह देने में या तो कंजूसी दिखाई जाती है या फिर जरूरी संवेदनशीलता नहीं बरती जाती ।
🚩मीडिया सिर्फ शहरों की घटनाओं और समस्याओं को लेकर गंभीर दिखता है ।
शहरों में भी, मध्यवर्ग की समस्याएं ही उसे अधिक परेशान करती हैं । मसलन, बारिश से घंटे-दो घंटे भी यातायात जाम हो जाए तो टीवी चैनलों पर चीख-पुकार शुरू हो जाती है, मगर जिन इलाकों के लोग बरसों से पानी के लिए तरसते रहते हैं उनकी सुध नहीं ली जाती ।
🚩भारत में मीडिया का हमेशा हिंदू विरोधी रवैया रहा है । हमेशा एक तरफा खबर दिखाई है जैसे क़ि ओवैसी या जाकिर हुसैन हिन्दू देवी देवता के लिए बोले या भारत विरोधी बोले अथवा कोई मौलवी या ईसाई पादरी कितने भी बलात्कार करे, कन्हैया देश को तोड़ने की बात करे, लेकिन उस ओर कभी समाज का ध्यान केंद्रित नही करते और अगर करते हुए दिखते भी हैं तो उनके बचाव में । वहीं अगर कोई हिन्दू हिंदुत्व की बात करे तो उसको तोड़-मरोड़ कर विवादित बयान बना कर पेश किया जाता है कि जनता उनके विरुद्ध हो जाये ।
🚩भारतवासी ऐसे बिकाऊ और देशद्रोही मीडिया का बहिष्कार करना ही एकमात्र विकल्प है।
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