मीडिया ने इस खबर को छुपा दिया क्योंकि हिंदु धर्म से नहीं जुड़ा था…

03 फरवरी 2021

 
जब भी किसी पवित्र हिंदू साधु-संत पर कोई झूठा आरोप लगता है तो इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया इस तरह खबर चलाती है कि जैसे न्यायालय में अपराध सिद्ध हो गया हो, सेक्युलर भी जोरों से चिल्लाने लगते हैं और हिंदू धर्म पर टिप्पणियां करने लगते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इल्जाम लगते ही न्यूज चालू हो जाती है अनेक झूठी कहानियां बन जाती है। इससे तो यह सिद्ध होता है कि मीडिया को इस बात का पहले ही पता होता है कि कौन से हिन्दू साधु-संत पर कौन सा इल्जाम लगने वाला है? और उनके खिलाफ किस तरीके से झूठी कहानियां बनाकर खबरें चलाना है? क्या लगता है यह सब पहले से ही तय कर लिया जाता होगा।
 

 

 
वहीं दूसरी ओर किसी मौलवी या ईसाई पादरी पर आरोप सिद्ध हो जाये, तभी भी न मीडिया खबर दिखाती है और ना ही सेक्युलर कुछ बोलते हैं। इससे साफ होता है कि ये गैंग केवल हिंदुत्व के खिलाफ है।
 
मौलवी ने बच्ची का किया यौन शोषण
 
मौलवी शमसुद्दीन बरभुइयाँ को असम की सिलचर सदर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह मौलवी 6 दिसंबर 2020 से ही फरार था। मौलवी शमसुद्दीन पर 6 साल की बच्ची का यौन शोषण का आरोप है।
 
मौलवी शमसुद्दीन बरभुइयाँ घटना वाले दिन आम दिनों की तरह ही बच्चों को पढ़ाने घरपर आया था। लेकिन उस दिन पीड़ित बच्ची भी पढ़ने आई थी। जब परिवार के बड़े लोग बच्चों को मौलवी के पास पढ़ता छोड़ चाय बनाने चले गए तब यौन शोषण को अंजाम दिया गया।
 
6 दिसंबर को असम के सिलचर सदर थाने में शिकायत दर्ज कराने आई पीड़ित बच्ची की माँ ने बताया कि पढ़ाई वाले कमरे से अचानक बच्ची रोते हुए निकली थी। बाहर आकर भी वो रो ही रही थी, डरी हुई थी। बहुत पूछने पर उसने बताया कि मौलवी उसके गुप्तांगों को छूना चाह रहा था। बच्ची के मना करने पर मौलवी ने जबरदस्ती किया।
 
पूरा वाकया सुनने के बाद परिवार के लोग जब मौलवी के पढ़ाने वाले कमरे में गए तो वहाँ अन्य बच्चों के अलावा कोई नहीं था। मौलवी शमसुद्दीन बरभुइयाँ वहाँ से भाग चुका था। परिवार वालों ने पहले लोक-लाज के डर से पुलिस के पास जाने से मना किया था। लेकिन कई अन्य बच्चियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पीड़िता की माँ ने FIR दर्ज कराई।
 
अफवाह पहले से थी कि कन्याकुमारी तिरुनेलवेली जिले के पनकुडी के पास रोसमियापुरम में के ईसाई पादरी जोसेफ इसिदोर (Joseph Isidore)  एक महिला के साथ अफेयर है, जो वहीं कार्यरत है। लेकिन 25 जनवरी को जब दोनों एक-दूसरे के साथ थे, तभी महिला राजाम्मल की नजर उनके कमरे में पड़ी और उन्होंने दोनों को देख लिया। पादरी और एक महिला इसके बाद हक्का-बक्का रह गए। उन्होंने राजाम्मल से बहस शुरू कर दी और उस पर बुरी तरह हमला कर दिया।
 
राजाम्मल पर हुए इस अचानक हमले के कारण उसे गंभीर चोट आए। उन्हें राधापुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। कथित तौर पर राधापुर के सब इंस्पेक्टर शिव पेरुमल को महिला और पादरी के रिश्ते के बारे में पहले से पता था।
 
जब सब इंस्पेक्टर राजाम्मल के पास पूछताछ के लिए पहुँचे तो पीड़िता ने उन्हें बताया कि उन पर हमला किन हालातों में हुआ। उनका कहना था कि उन्होंने गरीबी और किसी का साथ न होने के कारण पूरी घटना का खुलासा नहीं किया। मगर अब उनकी शिकायत पर दोनों आरोपितों के ख़िलाफ़ मुकदमा चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि तमिलनाडु की यह घटना बिलकुल सिस्टर अभया के केस जैसी है। इसमें अभया ने दो पादरियों और एक नन- थॉमस कुट्टूर, जोस पूथरुकायिल, और सिस्टर सेफी को ‘आपत्तिजनक स्थिति’ में पाया था। सिस्टर अभया को देख कर तीनों ने उन पर हमला कर दिया, जिससे सिस्टर अभया बेहोश हो गईं। इसके बाद तीनों ने मिलकर उन्हें कुऍं में डाल दिया। इस केस में भी तीनों को डर था कि कहीं सिस्टर अभया किसी को बता न दें।
 
ऐसे तो मौलवी व पादरियों पर यौन शोषण के हजारों मामले है लेकिन मीडिया का कैमरा व तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग इसपर मौन हो जाता है जबकि किसी साधु-संत पर साजिक के तहत जूठे आरोप लगे तो भी मीडिया चिल्लाने लगती है। ऐसे बिकाउ मीडिया की बातों में आकर हिंदू धर्मगुरुओं के खिलाफ गलत टिप्पणी नही करनी चाहिए।
 
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