मीडिया ने आसाराम बापू की इस बड़ी खबर को कर दिया गायब, जानिए कोनसी खबर है

16 नवंबर 2020

 
 टीआरपी और पैसे की अंधीदौड़ में अधिकितर मीडिया कई बार झूठी खबरें दिखा देती है और सहीं खबरें छुपा देती है। इसके कारण आज मीडिया ने विश्वसनीयता खो दी है।
 

 

 
 दीपावली के पावन पर्व पर एक तरफ हम मिठाई खाते हैं, नये कपड़े पहनते हैं, खुशियां मनाते हैं, लेकिन उन गरीबों का क्या जिनके पास पैसे नहीं हैं वो कैसे दीपावली मनायेंगे? गरीब भी अच्छी दिवाली मना जा सकें इस निमित्त हिंदू संत आशाराम बापू के अनुयाइयों ने देशभर में आदिवासी क्षेत्रों में जाकर मिठाई, कपड़े, खजूर, चप्पल, बर्तन आदि जीवनोपयोगी सामग्री एवं नगद पैसे और शिरा पुलाव आदि का
 इस अभियान से आदिवासी लोगों की दीपावली अच्छी मनी और दूसरा कि जो मिशनरियां धर्मांतरण करवाती थीं उनका धंधा चौपट हो गया और आदिवासियों की हिंदू धर्म के प्रति आस्था बढ़ी, लेकिन खेद की बात है कि जो मीडिया चिल्ला चिल्लाकर हिंदू संत आशाराम बापू के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर बदनाम कर रही थी उसने यह खबर कहीं भी नहीं दिखाई।
 
 आपको बता दें कि बापू आशारामजी द्वारा 50 सालों से समाज उत्थान के कार्य कर रहे हैं । उन्होंने सत्संग के द्वारा देश व समाज को तोड़ने वाली ताकतों से देशवासियों को बचाया। कत्लखाने जा रही हजारों गायों को कटने से बचाया, कई गौशालाओं की व्यवस्था की। लाखों लोगो को धर्मान्तरण से बचाया व धर्मान्तरित लाखों हिंदुओं को अपने धर्म में वापसी कराई । गरीब आदिवासी क्षेत्रों में जहाँ खाने की सुविधा तक नहीं थी वहाँ “भोजन करो, भजन करो दक्षिणा पाओ”, गरीबों में राशन कार्ड के द्वारा अनाज का वितरण, कपड़े, बर्तन व जीवन उपयोगी सामग्री एवं मकान आदि का वितरण किया जाता है ।
 
 प्राकृतिक आपदाओं में जहाँ प्रशासन भी नहीं पहुँच सका वहाँ बापू आशारामजी की के शिष्यों द्वारा कई सेवाकार्य (निःशुल्क भोजन भंडार, कम्बल, कपड़े का वितरण व स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं) होते हैं । इसके अलावा महिला सुरक्षा (WOMEN SAFETY & EMPOWERMENT) के कई अभियान चलाए, नारी जाति के सम्मान व उनमें पूज्यभाव के लिए सबको प्रोत्साहित किया, बड़ी कंपनीयों में काम कर रही महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई, महिला संगठन बनाया।
 
 परिवार में सुख-शांति व परस्पर सद्भाव से जीना सिखाया, पारिवारिक झगड़ों से मुक्ति दिलायी, महिलाओं के मार्गदर्शन व सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में ‘महिला उत्थान मंडलों’ की स्थापना की तथा नारी उत्थान हेतु कई अभियान चलाये। बापू आसारामजी ने बाल व युवा पीढ़ी में नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के सिंचन हेतु हजारों बाल संस्कार केन्द्रों, युवा सेवा संघों व गुरुकुलों की स्थापना की, आज की युवापीढ़ी को माता पिता का सम्मान सिखाकर वैलेंटाइन के बदले में मातृ-पितृ पूजन दिवस मानना सिखाया । 25 दिसम्बर को संस्कृति की रक्षा के लिए तुलसी पूजन दिवस अभियान एक नई पहल की। केमिकल रंगों से बचा कर प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की पहल की, जिससे पानी व स्वास्थ्य की रक्षा हो। व्यसन मुक्ति के अभियान चलाकर करोड़ों लोगों को व्यसन मुक्त कराया। बच्चों, युवाओं व महिलाओं में अच्छे संस्कार के लिए ढेरों अभियान चलाये जाते हैं । World’s Religions Parliament, शिकागो अमेरिका में 1993 में स्वामी विवेकानन्दजी के बाद यदि कोई दूसरे संत ने प्रतिनिधित्व किया है तो वे बापू आसारामजी, जिन्होंने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर सनातन संस्कृति का परचम लहराया। इन सेवाकार्यों से देश-विदेश के करोड़ों लोग किसी भी तरह के धर्म- जाति -मत – पंथ -सम्प्रदाय-राज्य व लिंग के हो भेदभाव के बिना लाभान्वित हो रहे हैं ।
 
 मीडिया ने हिंदू संत आशारामजी बापू द्वारा देश व धर्म के हित में हो रहे अनेक सेवाकार्य को नहीं दिखाया, पर उनके खिलाफ अनेक झूठी कहानियां बनाकर जनता को गुमराह किया ।
 
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