धर्मांतरण कराने वालें 13 NGO का FCRA लाइसेंस किया रद्द, अब नही कर पायेंगे धर्मान्तरण।

08 सितंबर 2020

 
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट (2016) में बताया था कि कई NGOs भारत देश में धर्मान्तरण के काम में लगे हुए हैं और इनमें से कई ऐसे हैं जो बहुत ही छोटी – मोटी घटनाओं को मजहबी रंग देने की साजिश रचते हैं ।
 

 

 
रिपोर्ट के अनुसार विदेशी डोनर्स की पहचान हुई हैं जो भारत में NGOs को फ़ण्डिंग करते हैं ताकि हिंदुओं का धर्मान्तरण करवाया जा सकें । इन विदेशी डोनर्स में अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरोप शामिल हैं ।
 
आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। मंत्रालय ने यह निर्णय पिछड़े इलाकों में आदिवासियों को प्रलोभन देकर उनके धर्मांतरण कराए जाने की रिपोर्ट के बाद लिया है।
 
जिन 13 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया गया है, उनके बैंक अकाउंट भी फ्रिज कर लिए गए हैं। कुछ राज्यों के पिछड़े इलाकें खासकर झारखंड से आई इंटेलिजेंस रिपोर्ट की मानें तो ये संस्था आदिवासियों को लोभ-लालच देकर उनका धर्मांतरण कर उन्हें ईसाई बना रहे थे।
 
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जिन 13 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया है, उन्हें पहले ‘कारण-बताओ’ नोटिस भेजा था। लेकिन तय समय-सीमा के भीतर किसी ने भी जवाब नहीं दिया। अभी तक सिर्फ एक संगठन की ओर से जवाब आया है, वो भी तय समय-सीमा के बाद। मंत्रालय के अनुसार भेजा गया जवाब संतुष्टि के लायक नहीं है।
 
दो दिन पहले भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 4 ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया था। जिन चार ईसाई समूहों का FCRA सस्पेंड किया गया है, उनमें झारखंड का Ecreosoculis North Western Gossner Evangelical, मणिपुर का Evangelical Churches Association (ECA), झारखंड का Northern Evangelical Lutheran Church और मुंबई स्थित New Life Fellowship Association (NLFA) शामिल हैं।
 
क्या है विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) :: किसी भी संगठन के लिए विदेश से चंदा प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय से FCRA की मँजूरी होना अनिवार्य है। इस लाइसेंस के नहीं होने से संस्थान या संगठन विदेश से चंदा या वित्तीय योगदान मँगाने में कानूनी रूप से सक्षम नहीं होता है।
 
विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) 2010 के प्रावधानों के अनुसार प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गैर-कानूनी है। इस अधिनियम के सेक्शन 12(4) के अनुसार सक्षम अधिकारी किसी NGO या संगठन को धार्मिक गतिविधियों से परे लोभ-लालच-प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने की स्थिति में उसका लाइसेंस सस्पेंड कर सकते हैं।
 
भारत में बहुत सारे NGO’s धर्म परिवर्तन के काम में लगे हुए हैं। विदेशी पैसों से चलने वालें NGO’s धर्मपरिवर्तन ही करा रहे हैं ऐसा ही नहीं है बल्कि छोटी-छोटी घटनाओं को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश करके भारत देश का माहोल भी खराब कर रहें हैं। 2016 की रिपोर्ट में दो तरीके की बातें हैं, एक तो धर्म परिवर्तन करने वाले NGO’s की पहचान हुई है और भारत को बदनाम करने के लिए कैसे साजिश रची जा रही है, इसके लिए काफी ज्यादा मात्रा में विदेशों से NGO’s को पैसे मिलते हैं ।
 
उसमें छत्तीसगढ़, झारखण्ड, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि कई राज्यों में गरीब आदिवासियों में धर्म परिवर्तन कराने के लिए बड़े पैमाने पर इस पैसों का उपयोग हो रहा है।
 
गैर कानूनी कामों में लिप्त विदेशी फंड से चलने वाली NGO’s की इन्क्वाइरी में पता चला की इसके पैसे विदेश से इसलिए आते थे की वो बच्चों की शिक्षा में उपयोग करें।
 
लेकिन ये NGO’s देश में जगह-जगह दँगा फैलाने का काम करते हैं। भारत देश को तोड़ने के लिए कई जगहों पर इन्होने दंगे भी करवाये थे। इसलिए गृह मंत्रालय ने इनका लाइसेंस रद्द कर दिया है।
 
अब ये बड़ी चौंकाने वाली रिपोर्ट है। लेकिन ये बात स्वर्गीय VHP के श्री अशोक सिंघल जी ने पहले ही बता दी थी। लेकिन इस बात पर कोई ध्यान नही दें रहा था। भारत को तोड़ने के लिए एक नहीं, दो नहीं कई हजारों NGO’s लगे हैं जो आज से नहीं चल रहे हैं कई सालों से चल रहे हैं।
 
इनका उद्देश्य केवल यही है कि भारत देश को फिर से गुलाम बनाया जाये। उसके लिए ये NGO’s दिन रात काम कर रहें हैं और उनको इसके लिए विदेश से अरबों-खरबों रूपए भेजे जातें हैं। इनसे सावधान रहें।
 
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