जानिए भारत की व्यवस्था ने कैसे बना दिया हिन्दू को दूसरा दर्जे का नागरिक

26 नवम्बर 2018
🚩सनातन संस्था के द्वारा आयोजित किए गए हिन्दू अधिवेशन में दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने बताया कि भारत में  हिन्दू विरोधी व्यवस्था के कारण हिन्दूओं पर अत्याचार किया जा रहा है ।
आइये आपको बताते हैं क्या कहा कपिल मिश्रा जी ने….
Know how the Indian system has made
the Hindu second-class citizen
🚩दुनिया में अभी 2-3 तरीके के राज्य हैं एक तो खुद बोलते हैं, हम क्रिश्चियन हैं । ईसाई धर्म पर आधारित राज्य हैं, बाइबल को मानते हैं, हाथ में बाइबल लेकर शपथ ली जाती है राज्य व्यवस्था उसके आधार पर की जाती है । अपना एक स्टेंडर्ड कंटूटिशन भी होता है । दूसरे इस्लामिक राज्य हैं, तीसरे कुछ कम्युनिस्ट राज्य हैं । लेकिन दुनिया में एक अकेला राज्य भारत ऐसा है जो किसीके पक्ष में है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन हिंदुओं के विरोध में पूरी व्यवस्था है । 
🚩हमारा कोई सेक्युलर राज्य नहीं है हिन्दू राज्य बनाने की बात लोग करते हैं, लेकिन अभी जो हमारी राज्य व्यवस्था है कि हिन्दू विरोधी राज्य व्यवस्था है ये राज्य व्यवस्था आपको मोटिवेट करती है कि आप हिन्दू धर्म को छोड़े, ये राज्य व्यवस्था आपको इस प्रकार का रोज सुबह उठने के साथ सोने तक ये एहसास कराती है कि आप इस देश में सेकंड क्लास है डिवीजन है, दूसरे दर्जे के नागरिक हैं । आप देश के अन्य नागरिकों के बराबर नहीं है । आपका बच्चा अगर पैदा होगा तो उसके अधिकार किसी अन्य धर्म में पैदा होने वाले बच्चों से कम होंगे । किसी अन्य धर्म में पैदा होता है तो सरकार उसे पैसा देगी, पढ़ने जाएगा तो सरकार उसे बस्ता देगी, किताब देगी, स्कॉलरशिप देगी, रिजर्वेशन देगी, नौकरी केवल धर्म आधारित पैसा रिजर्वेशन, व्रोटेशन, मोटिवेशन केवल और केवल धर्म आधारित पैसा रिजर्वेशन, प्रोक्शन, संगठन , मोटिवेशन इस देश की राज्य व्यवस्था दे रही है । उसमें भी शब्द यूज़ करते है कि minority अल्पसंख्यक। मेरे को लगता है पूरे ब्रह्मांड में 25 करोड़ वाला अल्पसंख्यक केवल भारत में ही बैठा हुआ है । और वो इतना अल्पसंख्यक है कि उसके हर बच्चे के 7-8 बच्चे पैदा हो रहे हैं । जब ये कहा गया कि मुसलमानों  की तरक्की के लिए योजना लाओ तो मुझे लगता है कि नसबन्दी की योजना सबसे बड़ी योजना है जिससे मुसलमानों की तरक्की हो सकती है । 
🚩एक ही योजना ऐसी है जिससे तरक्की हो सकती है। लेकिन उनका विश्वास नहीं है उनका विश्वास है कि पॉपुलेशन देहात में । मैं अपना व्यक्तिगत तौर पे ये उदाहरण देता हूँ कि विधायक होने के नाते मैं अपने दफ्तर में बैठा था सरकार विधवा महिलाओं को पेंशन देती है। तो मेरे पास एक 24 वर्ष की एक महिला आई जो विधवा थी और विधवा की बेटी थी, शादी के लिए भी सरकार सहायता देती है । तो वो मुझसे ये कहने आई कि मेरी बेटी की शादी में सरकार सहायता देगी क्या? तो मैंने कहा आपकी बेटी की उम्र कितनी है? तो उसने कहा 12 साल है शादी की बात चल रही है मैने कहा 18 साल से पहले शादी गैरकानूनी है । करना भी मत कोई कानूनी कार्यवाही हो जाएगी और सरकारी सुविधा कुछ मिल ही नहीं सकती क्योंकि कागज पे सर्टिफिकेट होना चाहिए कि 18 से ज्यादा उम्र है। फिर मैंने उससे पूछा कि 12 साल की बेटी की शादी की बात कर रही हो तुम्हारे और कितने बच्चे है? 24 साल में विधवा हो चुकी उस बहन के 8 बच्चे हैं । और जिसकी वो 12 साल में शादी की बात कर रही है उसके भी 24 की होते होते 8 बच्चे हो जाएंगे । 
🚩तो इतने में हमारे बच्चे कॉलेज पास करके सोचते हैं कि आगे जिंदगी में क्या करना है उसमें इनके 8×8=64 बच्चे उनके घर में खेलते होते हैं । और उन 64 बच्चों के पैदा होने पर भारत की सरकार पैसा देती है । स्कूल जाएंगे तो पैसा देगी, नौकरी करेंगे तो लोन भारत की सरकार देगी रिजर्वेशन देगी और सिंदे साहब की बात पर अगर कोई ज्यादा पढ़ना लिखना शुरू कर दे तो उसकी उच्च शिक्षा में या नौकरी में इतिहास में भारत की आज़ादी के बाद upsc में सबसे ज्यादा मुस्लिम हाईएस्ट अधिकारियों का चयन हुआ है । 
🚩ये कोई सहयोग नहीं है प्रॉपर योजना बना के प्लानिंग से ट्रेनिंग देकर उनके बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, निःशुल्क आवास, निःशुल्क प्रशिक्षण देकर उत्साहित किया जाता है कि हर साल ज्यादा से ज्यादा लोग IAS बने और ये भारत की सरकार की नीति है । ये कोई धर्म की अपनी संस्था की नीति नहीं है भारत की सरकार की नीति है । तो धर्म आधारित भेदभाव इस हद तक हो चुका है कि साउथ के आफ्रीका में काले और गोरे का भेद, हमें ये बात कहनी होगी, हम ये बात कहने में झिझकते हैं हिंदुओं की मेजोरिटी है कि काले और गोरे बीच में किया गया था अधिकार का साउथ अफ्रीका में, वो भेद हिंदुओं में और अन्य धर्म के अंदर आज भी किया जा रहा है । दूसरे दर्जे की नागरिकता दे दी गई है ।
🚩हमारे मंदिरों के बारे में कोई भी निर्णय ले सकता है हमारी परंपराओं के बारे में कोई भी निर्णय ले सकता है । ये कोई मजाक नहीं है आपका इतिहास ही आपको नहीं बताया जा रहा है । आपका इतिहास आपसे छुपाया जा रहा है आपका वर्तमान अटकाया जा रहा है राज्यव्यवस्था है । क्यों रामकृष्ण समाज मजबूर हो गया कोर्ट जाने के लिए ? कि हमें अल्पसंख्यक घोषित करो । क्यों आई ये स्थिति क्योंकि अल्पसंख्यक कराके वो अपनी परंपरा बना सकता है वो अपना एक मिशन चला सकता है । लेकिन वो अल्पसंख्यक नहीं है तो वो अपने ही बच्चों को अपने ही धर्म के बारे में ज्ञान नहीं दे सकता । अपनी परंपरा का संगठन नहीं कर सकता ।
🚩सबरीमाला पर न्यायालय बोला महिला जाएगी ये महिलाओं के अधिकारों की बात है कल को कोर्ट बोलेगा नवरात्रि में दुर्गा पूजा में लड़कों का भी पूजन करो कन्या पूजा क्यों करते हो? ये भी समानता की बात है कि अपने हमारे धर्म को नहीं मानो, आस्था को नहीं मानो, परंपरा को नहीं मानो । और मंदिर के अंदर बैठे देवता के प्राणप्रतिष्ठा की ये मानने से आपने इनकार कर दिया क्योंकि वो देवता जीवित है प्राण की प्रतिष्ठा की हुई है, उसकी मर्जी से किसीसे मिलेगा नहीं मिलेगा और आपने ये मान लिया कि देवता के प्राण के प्राण ही नहीं है वो एक निर्जीव है तो उसमें आपने पब्लिक से emporiums secular spare is public spare ये कोर्ट बोल रहा है। भाई जाके कोर्ट में याचिका डाल दी मुझे तो ठंड लगती है नंगे पैर जूता पहन के जाऊंगा तो कोर्ट बोलेगा नंगे पैर जूता पहन के जा क्योंकि पब्लिक स्पेयर है । 
🚩इस प्रकार के वातावरण तक हम पहुंच चुके हैं हमारी संस्कृति की न्यायपालिका चुप है क्योंकि वोट बैंक सबसे बड़ी कमजोरी है क्योंकि वोट बैंक कहाँ बढ़ाया जा रहा है रणनीति के तहत दिल्ली में एक डेमोग्राफिक है जिसमें अगले दस साल के बाद दिल्ली की 70 विधानसभाओं में से 48 विधानसभाओं में वही व्यक्ति चुनाव जीत पाएंगे जिनको मुस्लिम समाज समर्थन देंगे । 70 में से 48 ये दिल्ली के अंदर होगा अगले 10 सालो में इसप्रकार से डेमिग्राफिक चेंज हो रही है । हो सकता है पूरे भारत में भी ये स्थिति आ सकती है धीरे धीरे 5 साल, 10 साल, 15 साल या 20 साल इस देश की ऐसी ही कोई लोकसभा या विधानसभा की सीट बचेगी जिसमें धर्म के आधार पर चुनाव और धर्म के नाम पर 15-20 साल के बाद ऐसी कोई सरकार आती है तो केवल मुस्लिम वोट के आधार पर आती है इसको एक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है । 
🚩हिन्दू चार्टर की जब हम बात करते हैं तो ये एक इस देश में हिंदुओं की मांग तो रखी जाए बोला तो जाए। अगर हम कहते हैं हिंदुओं को मुसलमान के समान अधिकार दिया जाए तो कहेंगे सम्प्रदायी हो । भड़काऊ बातें करते हो तुम्हारी बातों से दंगा फैल सकता है । तुम आतंकवादी हो केवल समान अधिकार मांगने पर इतनी बात बोल दी जाती है, लेकिन बचपन में एक बात सीखा दी गई थी कि बिना रोये माँ भी दूध नहीं देती तो अपनी बात कहने का, अपनी बात मांगने का बार-बार कहने का की हमें सेकंड क्लास के डिवीजन मत बनाओ बराबरी का अधिकार दो । 
🚩ये ये अधिकार दो इलीगल है ये कोई आज सार्वजनिक मंच पर आकर देश का राजनेता बोल ही नहीं रहा मिनोरटी कमीशन इलीगल है, मिनोरटी को दिये जाने वाली सारी सुविधाएं इलीगल है, गैरसंवैधानिक है, उनप्रोसेक्यूशन है । हमारा संविधान बनाने वालों को मेरा ये मानना है, ये मन में आस्था अभी भी है कि जिन्होंने संविधान बनाया शायद उनकी नियत नहीं थी ऐसा करने की वो तो शायद ये सोचते थे कि हिंदुओं को तो अधिकार मिल ही जायेगा । हिन्दू राष्ट्रमंत्री, हिन्दु  सरकार हिंदुओं को तो मिल ही जाएगा बाकियों के लिए लिख दो उनकी नियत तो शायद ऐसी होगी, लेकिन उसके बाद जो व्याख्या की गई इस संविधान की वो ये कह दी गई कि हिंदुओं को ही नहीं दिया जाएगा बाकी सबको दे दो। 
🚩और इस प्रकार से ये देश चलाया गया संविधान में सब्सिडी डाल दिये गए जो ना हमारी परंपरा में आते हैं ना धार्मिक परंपरा में आते हैं,  ना आध्यात्मिक, न सामाजिक देश की संस्कृति में ही नहीं आते । ये संविधान उनको हमारे संविधान में डाल दिया गया और उसके आधार पर ये सारे कमिश्नर रिपोर्ट को बार बार कहना, हक से कहना और मांगना और ये सुरक्षित करना कि इस देश के जितने भी लोग सरकारों पर पदों पर बैठे हैं, जिस चीज पर बैठे हैं उनको पता लगे, भारतीय जन मानस को पता लगे कि उसके साथ अन्याय हुआ है । लोग अन्याय देख रहें है अन्याय के प्रत्यक्ष भी गवाह है विटनेस हैं । ये अगर बार बार बोलेंगे तो इसका एक दबाव जरूर बनेगा ।
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