क्या हाथरस की घटना केवल वोटबैंक का जरिया है?

02 अक्टूबर 2020

 
हाथरस में एक अमानवीय अपराध हुआ। जो किसी भी महिला के साथ नहीं होना चाहिए। ऐसे अपराध करने वालों को फांसी की सज़ा मिलनी चाहिए लेकिन हाथरस में पीड़ित दलित वर्ग से थी। हाथों में मुद्दा आया और मुद्दे मे रस नजर आया। कूद पड़े मैदान मे। क्या इनको सच में दलितों की चिंता है?
 

 

 
हाथरस वाली घटना के एक सप्ताह के भीतर यूपी के बलरामपुर जिले में दो युवकों– शाहिद पुत्र हबीबुल्ला निवासी गैंसड़ी और साहिल पुत्र हमीदुल्ला निवासी गैंसड़ी द्वारा सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई। दोस्ती के बहाने घर ले जाकर दोनों आरोपितों ने लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया और गंभीर हालत में एक रिक्शे पर बैठाकर घर भेज दिया। 22 वर्षीय पीड़िता युवती की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई।
 
वहाँ भी पीड़िता दलित है। वो भी उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा है, जहाँ योगी आदित्यनाथ की ही सरकार है। लेकिन, राहुल गाँधी ने शायद सिर्फ एक वजह से बलरामपुर के पीड़ित परिवार की सुध नहीं ली है, क्योंकि वहाँ आरोपितों के नाम शाहिद और साहिल हैं। यहाँ उन्हें ‘वर्ग विशेष’ कह कर किसी हिन्दू जाति को निशाना बनाने का मौका नहीं मिलेगा। वहीं हाथरस में पूरा मीडिया जुटा हुआ है, कैमरा है और ड्रामा का स्कोप भी- इसलिए राहुल वहाँ जाने की जिद कर रहे हैं।
 
 
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और बलात्कार के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। बाँसवाड़ा में जहाँ एक लड़की की नग्न लाश हॉस्पिटल में मिली है, वहीं सिरोही में महज 6 साल की मासूम के साथ दरिंदगी की हदें पार की गईं। जयपुर में एक महिला से होटल में ही गैंगरेप किया गया। अजमेर में एक महिला को बंधक बना कर उसके साथ बलात्कार किया गया। जाहिर है, राहुल गाँधी बलरामपुर की तरह इन पीड़ित परिवारों की भी सुध नहीं लेंगे।
 
राजस्थान के भरतपुर जिले के कैथवाड़ा थाना क्षेत्र में एक 8 वर्षीय नाबालिग बच्ची के अपहरण और सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया है। पुलिस ने मामले में आरोपित सुबेदीन उर्फ इन्नस पुत्र काला खां को गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल, अन्य आरोपित फरार हैं। लेकिन इस पर भी सभी चुप हैं।
 
क्या आपको याद हैं कि 16 अप्रैल को पालघर (महाराष्ट्र) मे 2 साधुओं की निर्ममता से भीड़ ने हत्या कर दी थी। NDTV ने इसे केवल 1 मिनट दिया तो हाथरस मे चीखने वाले चुप रहे। 7 सितम्बर को कोर्ट मे राज्य सरकार ने CBI जांच का विरोध किया। बस अन्तर इतना ही है कि UP मे भाजपा सरकार है और महाराष्ट्र मे कांग्रेस गठबंधन सरकार।
 
जरा सोचिए, पालघर में संतों की लिंचिंग जैसी घटना अगर किसी समुदाय विशेष के या इसी गिरोह के किसी व्यक्ति के साथ घटी होती तो आज कितना हंगामा होता। अखलाक का उदाहरण तो आपको भी याद होगा। उस पर भी अगर महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार होती तो उनके रुदन का कोई पारावार नहीं रहता। पर, इस हैवानियत के शिकार भगवा धारण किए साधु थे। तो फिर उनकी अंतरात्मा क्यों ही जागृत हो? महाराष्ट्र के पालघर जिले के यह ऐसे कुछ इलाके हैं, जहाँ प्रायः कोंकणा, वारली और ठाकुर जनजाति के लोग रहते हैं। आधुनिक विकास से वंचित इन दूरदराज के गॉंवों में कई वर्षों से क्रिश्चियन मिशनरी और वामपंथियों ने अपना प्रभाव क्षेत्र बनाया हुआ है।
 
कुछ वर्षों में वामपंथी और मिशनरी प्रभावित जनजाति प्रदेशों में, जनजाति समुदाय के मतांतरित व्यक्तियों द्वारा अलग धार्मिक संहिता की माँग हो रही है। उन्हें बार-बार यह कह कर उकसाया जाता रहा है कि उनकी पहचान हिन्दुओं से अलग है।
 
निर्भया के बलात्कारी हत्यारे अफ़रोज को 10 हजार रूपए और सिलाई मशीन देने वालें केजरीवाल को भी हाथरस मे रस नजर आया। यही केजरीवाल निर्भया मामले मे प्रदर्शनकारियों मे शामिल था। महेश भट्ट की बेटी पूजा भट्ट जो पॉर्न अभिनेत्री सन्नी लियोनी को भारतीय सिनेमा मे लाई वह भी निर्भया केस मे प्रदर्शन कर रही थी। खुद उसकी पार्टी के लोग दिल्ली दंगों मे आरोपी हैं परंतु हाथरस के मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देते। इसी महीने मे राजस्थान मे भी कई इससे घिनौने अपराध हुए परंतु आरोपी मुस्लिम थे और सरकार मे कांग्रेस। NCRB ( National Crime Records Bureau) के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और केरल मे महिलाओं के प्रति अपराध की दर UP से लगभग 3 गुना है। तब भी केवल 1 मुद्दे को हाथ मे लेना केवल वोटबैंक की राजनीति है। केवल दलित पीड़ित होना इनके वोट बैंक के लिए महत्व नहीं रखता। यदि आरोपी मुस्लिम हो तो सभी चुप रहेंगे। यदि आरोपी सामान्य वर्ग का हिन्दू हो तभी इनको न्याय चाहिए। यदि आरोपी वोट बैंक हो तो मुलायम सिंह कहते हैं कि लड़कों से गलतियाँ हो जाती हैं।
 
कुछ नाम देखिए ( जो खबरों मे नहीं आए)
 
1. विष्णु गोस्वामी– 16 मई 2019 को यूपी के गोंडा जिले में इमरान, तुफैल, रमज़ान और निज़ामुद्दीन ने विष्णु गोस्वामी को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। विष्णु की गलती बस ये थी कि वे अपने पिता के साथ लौटते हुए सड़क के किनारे लगे नल पर पानी पीने लगा था। बस इसी दौरान इन्होंने विष्णु व उसके पिता से विवाद बढ़ाया और बात खिंचने पर उसे पेट्रोल डालकर आग के हवाले झोंक दिया।
 
2.वी.रामलिंगम– तमिलनाडु में दलितों के इलाके में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को चलता देख वी राम लिंगम ने पीएफआई के कुछ लोगों का विरोध किया था। जिसके बाद 7 फरवरी को पट्टाली मक्कल काची के नेता की घर से खींचकर हत्या कर दी गई । इस मामले में पुलिस ने पाँच लोगों को हिरासत में लिया था- निजाम अली, सरबुद्दीन, रिज़वान, मोहम्मद अज़रुद्दीन और मोहम्मद रैयाज़।
 
3. ध्रुव त्यागी– बेटी के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर 51 वर्षीय ध्रुव त्यागी को सरेआम सबके सामने मोहम्मद आलम और जहाँगीर खान ने धारधार हथियारों से राष्ट्रीय राजधानी के मोती नगर में मौत के घाट उतारा था। इसके बाद इन हत्यारों ने ध्रुव त्यागी के बेटे पर भी हमला किया था। हालाँकि, उस समय पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। मगर बाद में पुलिस को पड़ताल से पता चला कि उस दिन उन्हें 11 लोगों ने घेर कर मारा था।
 
4. चन्दन गुप्ता– कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में मारे गए अभिषेक उर्फ़ चंदन गुप्ता की हत्या शायद ही किसी के जेहन से निकले। अभी हाल ही में दिल्ली में हुए प्रदर्शनों में इनका नाम एक बार फिर सामने आया था। चंदन का जुर्म सिर्फ़ ये था कि वे 26 जनवरी के मौके पर विहिप और एबीवीपी की तिरंगा यात्रा में शामिल थे। जहाँ मुस्लिम बहुल इलाके में उनपर छत से गोली चला दी गई। घटना में चंदन की मौत हो गई और बाद में पुलिस ने मुख्य आरोपित सलीम को गिरफ्तार किया।
 
5 बन्धु प्रकाश – बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके में आरएसएस कार्यकर्ता बंधु प्रकाश पाल, उनकी सात माह की गर्भवती पत्नी, तथा आठ साल के बेटे की 8 अक्टूबर 2019 को धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी गई थी। जिसने सबको हिलाकर रख दिया था। पहले पुलिस ने इसे निजी कारणों से हुई हत्या बताया था। बाद में इसके पीछे 24000 रुपए का एंगल जोड़ दिया था।
 
6. रतन लाल– 24-25 फरवरी को उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में वीरगति को प्राप्त हुए रतन लाल का नाम शायद ही आने वाले समय में कोई भूल पाए। एक ऐसा वीर जिसने दिल्ली को जलने से रोकने के लिए खुद को इस्लामिक भीड़ का बलि बना दिया। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स से पता चला था कि पत्थरबाजी के कारण नहीं बल्कि रतन लाल की मौत गोली लगने के कारण हुई थी।
 
7 प्रीति रेड्डी– हैदराबाद का वो मामला जिसने पिछले साल नवंबर महीने के खत्म होते-होते सबको झकझोर दिया। शमसाबाद के टोल प्लाजा के पास घटी घटना में मुख्य आरोपित मोहम्मद पाशा था। जिसने अपने अन्य तीन साथियो के साथ मिलकर उस महिला डॉक्टर का गैंगरेप किया। फिर उसे पेट्रोल डालकर जलने को छोड़ दिया।
 
हाथरस केस में एक ऑडियो वायरल हुआ उसमें इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री पांडेय मृतका के भाई संदीप से बातचीत कर रही थीं। इसमें संदीप से तनुश्री ऐसा स्टेटमेंट देने के लिए बोल रही थीं, जिसमें मृतका के पिता आरोप लगाए कि उनके ऊपर प्रशासन की ओर से बहुत दबाव था।
 
वामपंथी मीडिया ओर कोंग्रेस पार्टी और वामपंथी राजनीति गिद्ध है, ये लोग अपने फायदे के लिए मरे हुए भी राजनीति करते है जहाँ उनको वोटबैंक में और टीआरपी में फायदा होता है वे बाकी इनके पिछले 70 साल में दलितों के किये कुछ किया है तो बताये आज भी वे वही जिंदगी जी रहे है ये लोग राष्ट्र हित की बात नही करते है न्याय तो इनके अंदर है ही नही अगर न्याय के लिए आगे आना होता तो आजतक जितने भी लोग पीड़ित हो चाहे किसी भी जाति के हो उनके सभी के साथ होना चाहिए था लेकिन ये लोग वोटबैंक के लिए कर रहे है ऐसे लोगो से सावधान रहें और अपराध करने वालो को कड़ी सजा मिले और पीड़ितों को न्याय शीघ्र मिले यही जनता की मांग हैं।
 
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