क्या आप भारत की अखंडता तोड़ने वाले मिशनरियां के प्रोजेक्ट को जानते हैं?

1 जुलाई 2019
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🚩एफ्रो दलित प्रोजेक्ट की ही तरह ही यह 10/40 Window भी ईसाई मिशनरियों का कन्वर्जन करने का एक मिशन है ।


यह शब्द 1989 – 1990 में Christian missionary strategist and Partners International CEO Luis Bush के द्वारा Lausanne II Conference ( Manila ) में दिया गया था ।

🚩वैसे यह सब आप भी इंटरनेट पर सर्च करके पता कर सकते हैं, मिशनरियों के प्रोजेक्टस आप जेशुआ मिशनरी साइट्स , सीरियन कैथोलिक्स साइट्स पर भी मिल जायेंगे ।
🚩एफ्रो-दलित प्रोजेक्ट दलितों को ‘काला’ तथा ग़ैर -दलितों को ‘गोरा’ जताता है । अमेरिकन एवलेन्जिकल संस्थाओं के एक बड़े वर्ग के लिए भारतवर्ष एक मुख्य लक्ष्य है । यह एक ऐसा नेटवर्क (जाल) है जिसमे संस्थानों, व्यक्तियों और चर्चों का समावेश है और जिसका उद्देश्य भारत के कमज़ोर तबके पर अलहदा पहचान, अलहदा-इतिहास’ और एक ‘अलहदा-धर्म’ थोपना है।
*🚩इस प्रकार की संस्थाओं के गठजोड़ में केवल चर्च समूह ही नहीं, सरकारी संस्थाएं तथा संबंधित संगठन, व्यक्तिगत प्रबुद्ध मंडल और बुद्धिजीवी तक शामिल हैं ।
सतही तौर पर वे सब एक दूसरे से अलग और स्वतंत्र दिखते हैं, लेकिन पाया गया है कि असल में उनका तालमेल आपस में बहुत गहरा है और उनकी गतिविधियाँ अमरीका तथा यूरोप से नियंत्रित की जाती हैं और वहीं से उनको काफी वित्तीय सहायता भी प्राप्त होती है । उनके सिद्धांत, दस्तावेज़, संकल्प और रणनीतियां बहुत सुलझी हुयी हैं और दलितों/पिछड़ों की मदद करने की आड़ में इनका उद्देश्य भारत की एकता और अखंडता को तोड़ना है ।*
🚩इन पश्चिमी संस्थानों में कुछ बड़े ओहदों पर इन दलित/पिछड़ी जाति (जिन्हें तथाकथित रूप से एमपावर (empower) किया जा रहा है) के कुछ भारतीयों को स्थान दिया गया है – मगर इसका पूरा ताना बाना पश्चिमी लोगों द्वारा ही सोचा समझा व नियोजित और फण्ड किया गया था । हालांकि अब और बहुत से भारतीय लोग और NGOs इन ताक़तों के सहभागी बनाए गए हैं और इन लोगों को पश्चिम से वित्तीय सहायता और निर्देश मिलते रहते हैं ।
🚩समूचे विश्व को ईसाई बनाने का उद्देश्य लेकर बने हुए “जोशुआ प्रोजेक्ट” के अंतर्गत धर्मांतरण हेतु सर्वाधिक ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्र के रूप में एक काल्पनिक “10/40 खिड़की” को लक्ष्य बनाया गया है।
🚩इस जोशुआ प्रोजेक्ट के अनुसार पृथ्वी के नक़्शे पर, दस डिग्री अक्षांश एवं चालीस डिग्री देशांश के चौकोर क्षेत्र में पड़ने वाले सभी देशों को “10/40 Window ” के नाम से पुकारा जाता है ।
इस खिड़की में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व एवं एशिया का एक बड़ा भूभाग (West Asia, Central Asia, South Asia, East Asia and much of Southeast Asia) आता है ।
🚩10/40 window यह पृथ्वी पर स्थिति वह क्षेत्र है जहां गरीब , निम्न जीवन स्तर की जनसंख्या है जहां ईसा के सन्देश पहुंचने के रिसोर्स कम है ।
🚩वेटिकन के अनुसार इस 10/40 खिड़की के देशों में सबसे कम ईसाई धर्मांतरण हुआ है । वेटिकन का लक्ष्य है कि इस खिड़की के बीच स्थित देशों में तेजी से, आक्रामक तरीके से, चालबाजी से, सेवा के नाम पर या किसी भी अन्य तरीके से अधिकाधिक ईसाई धर्मांतरण होना चाहिए ।
🚩जोशुआ प्रोजेक्ट के आकलन के अनुसार इस “Window” में विश्व के तीन प्रमुख धर्म स्थित हैं, हिन्दू , इस्लाम, यहूदी , सिक्ख , जैन , एनिमिस्ट एवं बौद्ध ।
🚩पहले इस खिड़की के अंदर दक्षिण कोरिया और फिलीपींस भी शामिल थे, परन्तु इन देशों की जनसंख्या 70% से अधिक ईसाई हो जाने के बाद उन्हें इस खिड़की से बाहर रख दिया गया है ।
🚩10/40 window में दुनिया की लगभग 2/3 जनसंख्या आती है ।
🚩वेटिकन के अनुसार इस खिड़की में शामिल देशों में सबसे ‘मुलायम और आसान” लक्ष्य भारत है, जबकि सबसे कठिन लक्ष्य इस्लामी देश मोरक्को है ।
🚩वेटिकन ने गत वर्ष ही “सॉफ्ट इस्लामी” इंडोनेशिया को भी इस खिड़की में शामिल कर लिया है ।
🚩विश्व की कुल आबादी में से चार अरब से अधिक लोग इस 10/40 खिड़की के तहत आती है, इसलिए यदि ईसाई धर्म का अधिकाधिक प्रसार करना हो तो इन देशों को टारगेट बनाना जरूरी है ।
🚩क्योंकि इस “खिड़की” से बाहर स्थित देशों जैसे यूरोपीय देश अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में से अधिकाँश देश पहले ही “घोषित रूप से ईसाई देश” हैं और अधिकाँश देशों में “बाइबल” की शपथ ली जाती है ।
🚩एशियाई देशों में चर्च ने सर्वाधिक सफलता हासिल की है “नास्तिक” माने जाने वाले “वामपंथी” चीन में । आज की तारीख में चीन में लगभग 17 करोड़ ईसाई (कैथोलिक व प्रोटेस्टेंट मिलाकर) हैं । चीन में वेटिकन के प्रवक्ता डॉक्टर जॉन संग कहते हैं कि हमें विश्वास है कि सन 2025 तक चीन में ईसाईयों की आबादी 25 करोड़ पार कर जाएगी ।
🚩भारत में “घोषित रूप से” ईसाईयों की आबादी लगभग छह करोड़ है, जबकि अघोषित रूप से छद्म नामों से रह रही ईसाई आबादी का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है ।
🚩आईये एक संक्षिप्त उदाहरण से समझते हैं कि किस तरह से मिशनरी जमीनी स्तर पर संगठित स्वरूप में कार्य करते हैं ।
“पास्टर जेसन नेटाल्स”. नाम से एक साहब ईसाई धर्म के प्रचारक हैं । पास्टर जेसन जुलाई से नवंबर 2013 तक भारत में धर्म प्रचार यात्रा पर थे ।
🚩इन्होंने अपने कुछ मित्रों के साथ आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम जिले के कुछ अंदरूनी गाँवों में ईसाई धर्म का प्रचार किया, और इसकी कुछ तस्वीरें ट्वीट भी कीं जैसा कि चित्र में देखा जा सकता है कि “पास्टर जेसन” एक मंदिर के अहाते में ही ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे हैं और तो और ट्वीट में इस “ईसाई धर्म से अनछुए गाँव” की गर्वपूर्ण घोषणा भी कर रहे हैं। भोलेभाले (बल्कि मूर्ख) हिन्दू बड़ी आसानी से इन “सफ़ेद शांतिदूतों” की मीठी-मीठी बातों तथा सेवाकार्य से प्रभावित होकर इनके जाल में फँस जाते हैं । जेशुआ प्रोजेक्ट की जो official website है उस पर भी आप जाकर facts क्रोस चेक कर सकते है ।
🚩जैसा कि पूर्व में बताया गया कि भारत मे वामपंथ की जड़े बहोत ही गहरी रही है लेकिन अब जब भारत मे वामपंथी शक्तियां राजनैतिक रूप से शीत युद्ध के बाद कमजोर हो गई तो बाद में यही वामपंथी आज ‘सेक्युलरिज्म’, ‘दलित मुक्ति’, ‘मानवाधिकार’ , ओबीसी चिंतन , पर्यावरणविद , स्त्रीवाद के गिरोहों में शामिल हो गए । अब वामपंथी साहित्य ने दलित साहित्य , ओबीसी साहित्य , स्त्री विमर्श , पर्यावरणविद , आदि का स्थान ले लिया ।
भारतीय साम्यवादियों की हिन्दू विरोधी भावना इतनी उग्र है कि जब सोवियत संघ न रहा तो अब ये अमेरिका संचालित एवलिजलिस्ट की गोद मे जा बैठे है ।
🚩जेशुआ वेबसाइट के अनुसार जो दुनिया के जो 10/40 से सबसे unreached people group है ,जातीया है उनमें शेख , यादव , तुर्क्स , मोरक्कन अरब , पश्टुन ,जाट और बर्मीज है । The 10/40 Window is home to some of the largest unreached people groups in the world.
🚩भारत मे वनवासीयो को एफ्रो दलिट्स प्रोजेक्ट्स , एससी की जातियो को क्रिप्टो अम्बेडक्राइस्ट प्रोजेक्ट , ओबीसी की अपर कास्ट यादव , कुर्मी , पटेल आदि को 10/40 प्रोजेक्ट्स में उन्होंने कन्वर्ट करना है ।
🚩कांग्रेस के मौन स्वीकृति में ईसाई मिशनरियों ब्रिटिश , और वामपंथी इतिहास को आगे बढाया । अब जो पुस्तके कभी काल्पनिक कही जाती थी उससे अप्रमाणिक रूस से इतिहास लिखा जा रहा , हर जाति का इतिहास लेखन यादव , कुर्मी , ब्राह्मण , जाट , राजपूत , पटेल , and other backword classes , नक्सली साहित्य ने दलित साहित्य का रुप ले लिया और आदिवासी साहित्य अभी लेखन में है ।
🚩इसकी एक बानगी देखिए…
वैसे यह सभी जानते है कि कांचा इलैय्या , स्वप्न विस्वास जैसे प्रोफेसर ईसाई है और बीफ पार्टी देना विश्विद्यालयो में या महिषासुर मण्डन इन्ही की देन है और ये छुपे हुए नही ये महाशय विदेशों में खुले आम क्रिस्चियन कांफ्रेसेस में हिस्सा लेते है , फंडिंग भी लेते है जिनका जिक्र राजीव मल्होत्रा जी ने भी कई बार किया है ।
🚩महिषासुर को बहुजन नेता के रूप में भी इसी कांचा इलैय्या ने प्रचारित किया था और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली (JNU) में वर्ष 2011 से महिषासुर परिनिर्वाण दिवस मनाने की शुरुआत भी इन्होंने ही की ।
🚩शुरुआत में उसे यादव नेता , फिर दलित नेता उसके बाद आदिवासी गोंड नेता , उसके बाद बहुजन नेता कहके प्रचारित किया गया । कभी बंगाल का , कभी कर्नाटक का मूलनिवासी राजा , कभी तमिल नेता मतलब कुछ भी ।
🚩सन्सद में उस समय स्मृति ईरानी ने महिषासुर दिवस के आयोजन का एक पर्चा पढकर सुनाया था , उन्होंने कहा कि, ‘इस पर्चे को पढने के लिए ईश्वर मुझे क्षमा करें । इसमें लिखा है कि, दुर्गा पूजा सबसे ज्यादा विवादास्पद और नस्लवादी त्योहार है। जहां प्रतिमा में सुंदर दुर्गा मां को काले रंग के स्थानीय निवासी महिषासुर को मारते दिखाया जाता है। महिषासुर एक बहादुर, स्वाभिमानी नेता था, जिसे आर्यों द्वारा शादी के झांसे में फंसाया गया। उन्होंने एक सेक्स वर्कर का सहारा लिया, जिसका नाम दुर्गा था, जिसने महिषासुर को शादी के लिए आकर्षित किया और 9 दिनों तक सुहागरात मनाने के बाद उसकी हत्या कर दी।” स्मृति ने गुस्से से प्रश्न किया कि, क्या ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? कौन मुझसे इस मुद्दे पर कोलकाता की सड़कों पर बहस करना चाहता है ?
🚩इस पर एक “महिषासुर : एक मिथक का अब्राहमणीकरण” नामक पुस्तक लेखन पर दलित-ईसाई प्रोफेसर बीपी महेश चंद्र गुरु की गिरफ्तारी भी हुई थी , और ‘महीखासुर : एक जननायक” , प्रमोद रंजन ने लिखी । “महिषासुर : पुनर्पाठ की जरूरत” नामक पुस्तिका को प्रेम कुमार मणी , अश्विनी पंकज , दिलीप मंडल ने लिखी ।
🚩जिसे आयवन कोस्का संचालित फॉरवोर्ड प्रेस और दिलीप मंडल संचालित नेशनल दस्तक पर प्रचारित किया गया ।
🚩इस पुस्तक के समर्थक वामी – कामी – ईसाई – इस्लामी खुलकर सामने में प्रोफेसर कांचा आयलैया, मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, अर्थशास्त्री जयती घोष, समाजशास्त्री शम्शुल इस्लाम, कोंग्रेसी विचारक राम पुनियानी, आनंद स्वरुप वर्मा, कुमार प्रशांत, एस आनंद, रतन लाल, मायावती के दरबारी लेखक कँवल भारती, प्रयाग शुक्ल, राजेश जोशी, मंगलेश डबराल, जीतेंद्र भाटिया, सुधीर सुमन, बजरंग बिहारी तिवारी, कृपाशंकर, फरीद खान, अमलेंदु उपाध्याय, संजय जोठे, सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषन रावत, अनुराग मोदी प्रीतम सिंह, सुरेश कुमार,अनंत गिरी, सत्या,सिंथिया स्टीफेन,निस्सीम मन्नादुकेरण, गिरिजेश्वर प्रसाद, बादल सरोज, नवल कुमार , संजीव चंदन जैसे लोग प्रमुख है । https://www.facebook.com/288736371149169/posts/2585075188181931/
🚩10/40 window projects में कुल 57 देश आते है जिनके लिस्ट निम्नवत है-
1. Afghanistan, 2. Algeria, 3. Bahrain, 4. Bangladesh, 5. Benin
6. Bhutan, 7. Burkina Faso, 8. Cambodia, 9. Chad, 10. China, 11. Cyprus, 12. Djibouti, 13. Egypt, 14. Eritrea, 15. Ethiopia, 16. Gambia ,17. Greece, 18. Guinea, 19. Guinea-Bissau, 20. India, 21. Iran
22. Iraq, 23. Israel (including Palestinian Occupied Territory as of 1998), 24. Japan, 25. Jordan, 26. Korea, North, 27. Korea, South
28. Kuwait, 29. Laos, 30. Lebanon
31. Libya, 32. Mali, 33. Malta, 34. Mauritania, 35. Morocco, 36. Myanmar, 37. Nepal, 38. Niger, 39. Oman, 40. Pakistan, 41. Philippines, 42. Portugal, 43. Qatar, 44. Saudi Arabia
45. Senegal, 46. Sudan (includes South Sudan as of 2011, due to Sudan splitting into two nations)
47. Syria, 48. Taiwan, 49. Tajikistan, 50. Thailand, 51. Tunisia, 52. Turkey, 53. Turkmenistan, 54. United Arab Emirates, 55. Vietnam, 56. Western Sahara, 57. Yemen
🚩भारत में ईसाई मिशनरियां विदेशी फडिंग से भारत में धर्मान्तरण का धंधा जोरो-शोरो से चला रही हैं इसके कारण हिंदूओं की जनसंख्या घटती जा रही और मीडिया हिन्दू विरोधी एजेंडा चला रही है ये अत्यंत चिंताजनक स्थिति है, इसपर रोक लगाने के लिए विदेश की फंडिग बंद करना जरूरी है । हिंदुओं को भी सावधान रहने की जरूरत है कोई लालच देकर धर्मपरिवर्तन करवाता है तो सावधान रहें और आपके आसपास कोई ऐसे दिखता है तो भी उसका कानूनी सहायता से विरोध करें ।
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