असम में मदरसों को बंद करने का फरमान जारी।

10 अक्टूबर 2020

 
कट्टरपंथी और आतंकवादी बढ़ रहे हैं उसका मूल कारण मदरसों में कट्टरपंथ की शिक्षा देना, जिस तरह लव जिहाद चलाया जा रहा है और आतंकवादी संगठनों में जो मुस्लिम युवक- युवतियां भर्ती होने जाते हैं उसका कारण मदरसों में दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा ही है।
 

 

 
उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने बताया था कि “मदरसों में बच्चों को बाकियों से अलग कर कट्टरपंथी सोच के तहत तैयार किया जाता है। यदि प्राथमिक मदरसे बंद ना हुए तो 15 साल में देश का आधे से ज्यादा मुसलमान आईएसआईएस का समर्थक हो जाएगा। उन्‍होंने इसके बजाय हाई स्कूल के बाद धार्मिक तालीम के लिए मदरसे जाने के विकल्प का सुझाव दिया। कोई भी मिशन आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का सहारा लिया जाता है और हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है ! ये देश के लिए भी खतरा है।
 
आपको बता दें कि असम की बीजेपी सरकार नवंबर में सरकारी मदरसों को बंद करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी करेगी। राज्य के शिक्षा मंत्री हिमांत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार (8 अक्टूबर 2020) को यह साफ़ करते हुए कहा कि मजहबी शिक्षा का खर्च जनता के रुपए से नहीं उठाया जा सकता है।
 
शर्मा ने कहा, “राज्य में कोई भी धार्मिक शैक्षणिक संस्थान सरकारी खर्च पर नहीं चलाया जा सकता है। हम इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए आगामी नवंबर में ही एक अधिसूचना जारी करेंगे।
 
हिमांत शर्मा ने ग्रीष्मकालीन विधानसभा सत्र के दौरान मदरसों से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि सरकारी मदरसे नवंबर से बंद हो रहे हैं। उनका कहना था कि अब से सरकार केवल धर्म निरपेक्ष और आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा था कि अब और अरबी शिक्षकों की नियुक्ति की कोई योजना नहीं है। मदरसा बोर्ड को भंग कर संस्थानों के शिक्षाविद माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सौंप दिए जाएँगे।
 
संस्कृत के बारे में बात करते हुए शर्मा ने कहा कि संस्कृत सभी आधुनिक भाषाओं की जननी है। असम सरकार ने सभी संस्कृत टोल्स को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय (नलबाड़ी में) के तहत लाने का फैसला किया है। वह एक नए रूप में कार्य करेंगे। फरवरी 2020 के दौरान एक अहम निर्णय में असल सरकार ने घोषणा की थी कि सरकार सभी राज्य संचालित मदरसों और संकृत टोल्स को बंद करने वाली है। उनके मुताबिक़ धार्मिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक शास्त्र, अरबी और अन्य भाषाओं को पढ़ाना सरकार का काम नहीं है।
 
असम में कुल 614 सरकारी और 900 निजी मदरसे हैं। इनमें अधिकांश जमीयत उलामा के तहत चलाए जाते हैं। सरकार प्रतिवर्ष मदरसों पर लगभग 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च करती है ।
 
बता दें कि पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन के स्तंभकार नाजिहा सईद अली ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें बताया कि, राजस्थान से लगती सीमा पर 2000 में जहां इक्का-दुक्का मदरसे थे, वे 2015 से अचानक 20 तक पहुंच गए हैं । ये मदरसे धर्म परिवर्तन कर नए मुस्लिमों के बच्चों की तालीम के लिए खुले हैं ।
 
आपको बता दें कि जाकिर नाईक ने कई मदरसे खोले थे उन मदरसों में वह कट्टरता की ट्रेनिंग देता था ।
 
पाकिस्तान में जिहाद में झोंके जाने वाले बच्चे गरीब घरों के तथा मदरसों से निकले बच्चे हैं । इनकी शिक्षा पद्धति ही इन्‍हें आतंकवाद के रास्ते पर प्रेरित करती है ।
 
कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट भेजी है जिसमें कहा गया था कि कश्मीर में मस्जिदों, मदरसों और मीडिया पर नियंत्रण रखना होगा ।
 
फ़्रांस ने तो कई मस्जिदें बन्द कर दी वहाँ के गृहमंत्री बर्नार्ड कैजनूव ने कहा था कि  “फ्रांस में मस्जिदों या प्रेयर हॉल में नफरत भड़काने वाली शिक्षा दी जाती है, इसलिए मस्जिदों को बंद कर दिया हैं, इन मस्जिदों में धार्मिक विचारों के प्रचार के नाम पर कट्टरवादी (देश विरोधी) शिक्षा दी जाती थी । कई मस्जिदों पर छापे के दौरान जेहादी दस्तावेज बरामद किए गए थे । इन मस्जिदों में सऊदी अरब से फंडिग होती थी ।
 
फ्रांस ने तो समझ लिया कि देश को तोड़ने के लिये विदेशी फण्ड से चलने वाली मस्जिदों में आतंकवादी बनने की ट्रेंनिग दी जाती है और देश विरोधी बातें सिखाई जाती हैं ।
 
देश में हिन्दुओं पर मुस्लिमों के बढ़ते आतंक की हालत देखकर भारत सरकार को फ्रांस से सीख लेनी चाहिए मुस्लिमों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण करना चाहिये ।
 
मदरसों में जब कट्टरपंथी की शिक्षा दी जाती है और कई मदरसों में बच्चों का मौलवी यौन शोषण कर रहे है तो ऐसे मदरसों पर बेन तो लगना ही चाहिए ।
 
सरकार को तो मदरसों पर बैन लगाना चाहिए किंतु उसके विपरित सरकार मदरसों को अनुदान देती है। जबकि ‘मदरसों को अनुदान देना अर्थात सरकारी (जनता के टैक्स ) पैसों से आतंकवादियों का निर्माण करना है ।
 
देश को बाहरी आतंकवादियों से इतना खतरा नही जितना इन कट्टरपंथियों से है इसलिए सरकार को जांच करवानी चाहिए और विदेशी फंड से जितनी भी मस्जिदें चल रही हैं उसमें अगर देश विरोधी बातें सिखाई जाती हैं तो ऐसे मदरसों और मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए जिससे देश सुरक्षित रहे और सुख शांति बनी रहे ।
 
 
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