अब देश के वैज्ञानिकों को भी फंसा रहे हैं सैक्स रैकेट के झूठे केसों में!

23 सितंबर 2020

 
देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधो को रोकने के लिए कड़े कानून बनाये गए लेकिन इन कानूनों का भयंकर दुरुपयोग भी किया जा रहा हैं इसमे पैसा ऐंठने अथवा बदला लेने की भावना से पुरुषों पर झूठे केस किये जा रहे हैं जिसकी वजह से निर्दोष पुरुषों की जिंदगी बर्बाद हो रही है और झूठे केस बढ़ने के कारण वास्तव में जो महिलाएं पीड़ित हैं उनको न्याय नही मिल रहा है।
 

 

 
वैसे तो हजारों घटनाएं हैं जिसमे निर्दोष पुरुषों को फंसाया गया हैं पर यहाँ आपको 2 घटनाएं बता रहे हैं कैसे निर्दोष पुरुषों को फंसाया जा रहा हैं यहाँ तक कि देश के वैज्ञानिक भी चपेट में आ रहे हैं।
 
वैज्ञानिक का अपहरण, हनी ट्रैप में फंसाया।
 
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के जूनियर वैज्ञानिक का अपहरण करके हनी ट्रैप में फंसा लिया गया और परिवार वालों से 10 लाख की फिरौती मांगी।
 
सूचना मिलते ही कमिश्नर के नेतृत्व में इस मामले में छह टीमें बनाई गईं और रविवार की देर रात वैज्ञानिक को सकुशल बरामद कर महिला सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
 
पुलिस ने बताया कि शनिवार को मसाज सेंटर का एक आदमी आया और वह उसके साथ नोएडा में ही एक होटल में मसाज के लिए चले गए। थोड़ी ही देर में तीन-चार लोग वहां पहुंचे और वैज्ञानिक को धमकाने लगे। उन पर सेक्स रैकेट में शामिल होने का आरोप लगाया और खुद को पुलिस अधिकारी बताने लगे। फिर उन्हें होटल के कमरे में बंधक बना लिया। फिर परिवार वालों से 10 लाख रुपयों की डिमांड कर डाली।
 
बदमाशों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए वैज्ञानिक को धमकाया अगर पैसे नहीं मिले तो उसे गिरफ्तार दिखाया जाएगा। जिससे न सिर्फ उसकी नौकरी जाएगी बल्कि बदनामी अलग होगी।
 
पुलिस ने लगातार छापेमारी शुरू की और देर रात उन्हें सफलता मिली और वैज्ञानिक को सकुशल मुक्त करा कर परिवार वालों को सौंप दिया। पुलिस अब इस के अन्य साथियों को तलाश में जुट गई है। जिससे यह पता चल सके कि यह गैंग अब तक कितने लोगों को ऐसे ठग चुका।
 
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा HC का फैसला, किया दोष मुक्त।
 
बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को दोषमुक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिलचस्प टिप्पणी की है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चाकू की नोक पर यौन प्रताड़ना का शिकार होने वाली महिला आरोपी को न तो प्रेम पत्र लिखेगी और न ही उसके साथ चार सालों तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहेगी। खबर के मुताबिक कोर्ट ने 20 साल पुराने रेप एवं धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी व्यक्ति को दोष मुक्त करते हुए यह टिप्पणी की। बताया जा रहा है कि इस मामले में व्यक्ति को निचली अदालत और झारखंड हाई कोर्ट ने दोषी ठहराया था।
 
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि वह यौन उत्पीड़न की घटना के बाद चार सालों तक चुप रही। महिला ने शिकायत में कहा कि आरोपी व्यक्ति ने उससे शादी करने और उसके परिजनों को काम दिलाने का वचन दिया था। महिला का यह भी कहना है कि वे इन दिनों ‘पति-पत्नी की तरह रहे।’ इस बात की जानकारी होने पर कि वह दूसरी महिला से शादी करने जा रहा है तब उसने व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी एवं रेप का केस दर्ज कराया। 
 
SC ने व्यक्ति को सभी आरोपों से किया मुक्त
 
सालों पुराने मामले की सुनवाई करते समय पीठ ने साक्ष्यों को देखने के बाद पाया कि आरोपी व्यक्ति और महिला दोनों अलग-अलग धर्म से जुड़े हैं और शादी न होने के बीच यही मुख्य वजह रही। लड़की का परिवार चाहता था कि शादी चर्च में हो जबकि लड़के के परिजन विवाह मंदिर में करना चाहते थे। अपना फैसला लिखते हुए जस्टिस सिन्हा ने कहा, ‘व्यक्ति अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखता है जबकि लड़की ईसाई समुदाय से है। दोनों के बीच पत्रों का जो व्यवहार हुआ है उससे जाहिर होता है कि समय गुजरने के साथ-साथ  दोनों के बीच एक-दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ा।’ कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है।
 
यह तो केवल दो घटनाएं है लेकिन न जाने ऐसे कितने झूठे केस होते हैं जिससे निर्दोष लोगों की जिदंगी खराब होती है ।
 
महिलाओं कि सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावनाओं से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दूरुपयोग हो रहा है।
 
न्यायाधीश निवेदिता शर्मा ने बताया कि पुरूषों के खिलाफ रेप के झूठे मामलों से बचाने के लिए ऐसे कानून बनाये जाये जो उन्हें बचा सके।
 
निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नये कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है । इसको रोकने के लिए कानून में संशोधन करना अत्यंत जरूरी है ।
 
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