अफगान सेना 3 लाख थी, फिर भी 75 हजार तालिबान ने कैसे कब्जा कर लिया?

24 अगस्त 2021

azaadbharat.org

🚩तालिबान के लड़ाकू आतंकवादी करीब 75 हजार के आसपास थे औऱ उन्हें जंग की कोई अच्छी ट्रेनिंग नहीं दी गई थी और उनके पास पुराने हथियार थे दूसरी तरफ अफगान सेना 3 लाख आधुनिक हथियार से लैस थी और ट्रेनिंग भी दी हुई थी फिर भी 3 लाख सेना कहां गायब हो गई? और इतनी बड़े सेना होने के बावजूद एक माह में तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया कैसे??

🚩जब 2002 में अमेरिका ने अफगानिस्तान से तालिबानी सरकार को उखाड़ कर नई सरकार स्थापित की थी तब सारे तालिबानी कहां गायब हो गए थे? वे गायब नहीं हुए थे उन्होंने अपनी इस्लामिक सोच का पूरा फायदा उठाया था। सिर्फ उनके कुछ टॉप लीडर्स गायब हुए बाकी वही तालिबानी अधिकतर संख्या में अफगानिस्तान की नई सेना में भर्ती होते गए और अमेरिका को मूर्ख बनाते रहे। माल भी खाते रहे, मजे भी लेते रहे और नाम से सिर्फ अमेरिकी सरकार के अधीन रहे असल में थे वे तालिबान ही।

🚩ट्रंप यह सब कुछ समझ चुके थे, मोदीजी भी यह सब समझते थे। इसीलिए ट्रंप ने अफगानिस्तान छोड़ने की योजना बना ली थी…क्योंकि अमेरिका बेकार में धन बरबाद कर रहा था। इसीलिए मोदीजी ने भी समझदारी से काम लेकर भारत का कोई सैनिक दखल अंदाजी का रिस्क नहीं लिया।

क्योंकि …इस्लाम कुछ सिखाए या ना सिखाए यह जरूर सिखाता है कि चालें कैसे खेली जाएं। पाकिस्तान भी इन्हीं चालों से कई दशकों तक अमेरिका का धन खाता रहा और अब चीन को मूर्ख बना रहा है।

🚩अब जैसे ही अमेरिका ने अपनी सेना को अफगानिस्तान से बाहर निकाला एक माह के अंदर अफगानिस्तान की नई तीन लाख की सेना ने तालिबान का कोई मुकाबला नहीं किया जबकि उनके पास आधुनिक हथियार और वायुसेना भी थी। वे थोड़ा बहुत दिखावटी विरोध करते रहे और तालिबान एक के बाद एक शहर को कब्जे में करता रहा।

🚩गुरु गोविंद सिंहजी ने कहा था: “अगर कोई मुस्लिम तेल में अपने हाथ डूबो कर फिर तिल की बोरी में डाल दे और जितने तिल उसके हाथ पर चिपक जाएं अगर कोई मुस्लिम उतनी बार भी कसम खा ले उसका विश्वास मत करो।”

लेकिन …हमारे यहां के तथाकथित सेकुलर और मैकाले बुद्धि के लोगों को पता नही कब समझ आएगी? क्योंकि इस्लामिक विचारधारा है ही ऐसी, मदरसों में बचपन से शिक्षा भी यही दी जाती है। ये लोग सौ साल तक आपकी सेवा कर लेंगे, लेकिन उद्देश्य एक ही कि कब मौका मिले और राम नाम सत्य कर दें।

🚩यही सद्दाम हुसैन के समय इराक में भी हुआ था, अमेरिका के एक आक्रमण के साथ ही वहां की सारी सेना गायब हो गई! अमेरिका ने वहां एक कठपुतली सरकार स्थापित की लेकिन बाद में वही सेना ISIS के रूप में सामने खड़ी हो गई थी क्योंकि इस्लाम के लोग सिर्फ कुरान और अपने पैगम्बर से ऊपर किसी को नहीं मानते।
ये वही करेंगे जो कुरान में लिखा है।
चाहे इनको हजारों साल का इंतजार करना पड़े।

🚩इसी समस्या का सामना मोदीजी को करना पड़ रहा है, सत्तर सालों से भारत की ब्यूरोक्रेसी, अफसरशाही, न्यायपालिका और लगभग हर संस्थान, सिनेमा चाहे मीडिया सब में कम्युनिस्ट, भ्रष्ट, इस्लामिक, चर्च के लोगों का कब्जा है।

इनमें बहुत ही कम राष्ट्रीय विचारधारा के लोग हैं। और ये लोग शांति से मकड़े बन कर व्यवस्था में बैठे हुए हैं। आईएएस लॉबी अस्सी प्रतिशत इन्हीं लोगों की है। इसीलिए अगर भारत में राष्ट्रवादी व्यवस्था कायम करनी है तो कम से कम दस साल और राष्ट्रवादी लोगों का शासन कायम रहना चाहिए।

🚩2014 तक सरकारी नौकरी करने वाले लोगों के बीच लेन देन की बातें खुले आम होती थी और इस बात को इज्जत से देखा जाता था कि फलां अफसर इतनी कमीशन लेता है। यह व्यवस्था बदलते समय लगेगा।

🚩नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला पश्तो हैं।
जब धारा 370 हटी तब मलाला का कहना था कि लड़कियाँ स्कूल नहीं जा पाएँगी।
आज उनकी पश्तो लड़कियों का बलात्कार हो रहा है, तालिबानी आतंकियों से ज़बरन उनका विवाह किया जा रहा है। तब मलाला को कोई मलाल ही नहीं है।

बस भारत के मामले में मुँह खोलना आता है!!

🚩देशवासियों को सावधान रहने की आवश्यकता है। कुछ तालिबानी सोच वाले भारत में भी हैं उसके लिए ध्यान देने की आवश्यकता है।

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