सुप्रीम कोर्ट ने जिन महिलाओं को समान हक देने को कहा, वही उतरी विरोध में..

03 October 2018
🚩भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है, उसमे जो भी नियम बनाये हैं वे सभी मनुष्य के उत्थान के लिए बनाया गया है, भारतीय संस्कृति के नियम पालन करके हर व्यक्ति स्वस्थ्य, सुखी, सम्मानित जीवन जी सकता है, लेकिन जब उन नियमो का उल्लंघन करता है तो रोगी, दुःखी, अपमानित होता रहता है ।
🚩अभी हाल ही में केरल के पथानमथिट्टा जिले में स्थित सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देनेवाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य में हजारों महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं । जिन महिलाओं का हक बताकर सुप्रीम ने निर्णय दिया, लेकिन हिन्दू धर्म की महिला समझदार हैं वे जानती हैं कि हिन्दू धर्म के नियम पालने से कितने फायदे होते हैं, जिससे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है ।
The women who were asked by the Supreme Court
to give equal rights, in the same opposition.
🚩रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलावार को 4000 से अधिक महिलाओं को विरोध के दौरान हिरासत में लिया गया है । बता दें कि यह महिलाएं मांग कर रही हैं कि केरल सरकार सर्वोच्च न्यायालय के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करें ।
🚩बता दें कि 7 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी थी । सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले से सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 आयु वर्ग के बीच की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने की पुरानी प्रथा को तोड़ दिया था ।
🚩इस विरोध प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने नारे लगाते हुए राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग की कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की समीक्षा करनी चाहिए । महिलाओं का कहना है कि यह फैसला 800 वर्ष पुरानी परंपरा पर विश्वास रखनेवालों के खिलाफ था इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए । हम लोकतांत्रिक व्यवस्था से हमारी बात सुनने के लिए कह रहे हैं । वहीं इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन ने सोमवार को एक बैठक आयोजित की थी जिसमें मंदिर की ओर जानेवाले मार्ग के साथ सुविधाओं को बढ़ाने के लिए आवश्यकता पर चर्चा की गई ।
🚩इस बीच, सीपीआई-एम, भाजपा राज्य इकाई के साथ-साथ पांडलम रॉयल फैमिली समेत कई राजनीतिक दलों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ निराशा व्यक्त की है । भाजपा राज्य इकाई ने कहा है कि सरकार मंदिर की परंपरा में विश्वास रखनेवाले समर्थकों की भावनाओं पर विचार नहीं कर रही थी । गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले में अदालत की पांच सदस्यीय पीठ में से चार ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था, वहीं पीठ में शामिल एकमात्र महिला न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा ने अपनी अलग राय रखी थी । स्त्रोत : अमर उजाला
🚩भारतीय संस्कृति की महिमा हिन्दू महिला समझ रही है , भले सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को हक़ देने की बात कहकर सेमेथ्तिक बटोर रही ही हो लेकिन महिलाएं इस कानून के खिलाफ हैं और अब सड़कों पर भी उतर गई हैं ।
🚩सबरीमाला मन्दिर के भगवान अयप्पा ने शादी नहीं की थी, उनके मंदिर में जाने से पहले 41 दिन का ब्रह्मचर्य पालन करना होता है । महिलाओं के लिए ये कभी संभव न भी हो पाए और महिलाएं मासिक धर्म के कारण भी प्रवेश नहीं कर सकतीं हैं, बाकी करीब हर मन्दिर में महिलाओं को प्रवेश होता ही है ।
🚩सुप्रीम कोर्ट के कानून केवल हिन्दू धर्म के लिए ही बनते है ऐसा जनता को लग रहा है क्योंकि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश नहीं दिया जाता है उसके लिए कोई कुछ नहीं बोलता है । दूसरा ईसाई धर्म मे महिला नन बन सकती है पर धर्मगुरु पादरी, फादर आदि नहीं बन सकती है, लेकिन हिन्दू धर्म मे महिला मन्दिर भी जा सकती है, बड़ी धर्मगुरु भी बन सकती है, हिन्दू धर्म ने महिलाओं को जितनी छूट है, उतनी किसी धर्म मे नहीं है, लेकिन किसी एक-दो मंदिर के अपने नियम है उसके लिए पाबन्दी है तो उसमे सुप्रीम द्वारा हस्तक्षेप हिन्दू महिलाओं को स्वीकार्य नहीं है इसलिए सड़को पर आ गई है ।
🚩भारत मे जबसे अंग्रेज आए हैं तबसे केवल हिन्दुओं के खिलाफ ही कानून बने जा रहे हैं ऐसा लग रहा है, इससे साफ होता है कि विदेशी ताकतों द्वारा भारतीय संस्कृति को मिटाने का षड्यंत्र चल रहा है । अंग्रेजों ने तो भगवद्गीता पढ़ने पर बेन लगा दी थी । वर्तमान में भी दहीहांडी हो या जलीकट्टू हो या दीपावली पर पटाखे फोड़ने का हो सभी पर बेन लगाई जाती है, पर हिंसा वाला त्यौहार मोहर्रम पर कोई कानून नही बनता है, बकरी ईद पर करोड़ों पशुओं की हत्या रोकने पर कोई कानून नहीं बन पा रहा है, क्रिसमस पर ध्वनि प्रदूषण, करोड़ों की शराब की बिक्री व पटाखों द्वारा प्रदुषण पर कोई कानुन नहीं बनाता है, लेकिन भारत में केवल बहुसंख्यक हिंदुओ की आस्था पर ही चोट की जा रही है इससे हमें जगरुक होना पड़ेगा नहीं तो एक के बाद एक ऐसे कानून आएंगे कि बिना पुलिस परमिशन मंदिर नहीं जा सकेंगे और ना ही  शास्त्र पढ़ पाएंगे ।
🚩हिंदुओं को जागरूक होना पड़ेगा, ऐसे कानूनों का विरोध करना चाहिए ताकि भारतीय संस्कृति की अस्मिता बनी रहे, और सभी मनुष्य इसका लाभ उठाकर अपना कल्याण कर सके ।
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  1. भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है, उसमे जो भी नियम बनाये हैं वे सभी मनुष्य के उत्थान के लिए बनाया गया है, भारतीय संस्कृति के नियम पालन करके हर व्यक्ति स्वस्थ्य, सुखी, सम्मानित जीवन जी सकता है, लेकिन जब उन नियमो का उल्लंघन करता है तो रोगी, दुःखी, अपमानित होता रहता है ।

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