आप भी जानिए वर्तमान में आसाराम बापू को लेकर लोगों की क्या मान्यता है ??

20 October 2018
http://azaadbharat.org
🚩हिन्दू संत आसाराम बापू पिछले 5 साल 2 महीने से जोधपुर जेल में बंद हैं, लेकिन उनके करोड़ों समर्थकों की श्रद्धा आज भी उनमें ज्यों की त्यों है ।

🚩 भक्तों को तो कोई भी अंधभक्त कह सकता है, पर आम जनता का उनके केस को लेकर क्या कहना है, ये भी जानना आपके लिए बेहद जरूरी है ।

🚩अभी कुछ दिन पहले केरल की नन ने जालंधर के ईसाई पादरी फ्रैंको मुलक्कल पर कई बार रेप करने का आरोप लगाया था, उनके समर्थन में कई नने भी सामने आई थी, जिसके कारण पिछले महीने बिशप को केरल की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था पर उसे 21 दिन में ही जमानत दे दी गई, वहीं दूसरी ओर हिन्दू संत आसाराम बापू को 5 साल में 1 दिन भी जमानत नहीं दी गई, जिसके कारण जनता में भारी रोष देखने को मिला ।
You also know what is the belief of people
 about Asaram Bapu presently?
🚩आइये जानते हैं जनता ने सोशल मीडिया पर इसको लेकर क्या प्रतिक्रिया दी ?
🚩1.)सुप्रीम कोर्ट के वकील इशकरण भंडारी जी कहते हैं कि एक तरफ तो केरल के बिशप फ्रैंको मुल्लकल जिसके समर्थन में उसका पूरा समुदाय खड़ा था और पूरी तरह से सक्रिय भी था ।
और दूसरी ओर जिस तरह से आसाराम बापू जी को उनके ही लोगों ने दोषारोपण करके उनके केस को न तो पूरा पढ़ा और न सच्चाई जानने की कोशिश की, बस सब मीडिया द्वारा दिखाई गयी खबरों के आधार पर माना गया ।
इससे साफ होता है कि हमारे देश पर उदार परितंत्र शासन कर रहा है।
https://twitter.com/Ish_Bhandari/status/1051721213242945536?s=19
🚩2.) सुदर्शन न्यूज़ चैनल के संस्थापक सुरेश चव्हाणके जी ने लिखा है कि 13 बार के बलात्कारी पादरी को तो 21 दिन में बेल । लेकिन ज़िनके FIR में भी बलात्कार का आरोप नहीं लिखा है उन #आसाराम_बापू को पाँच साल में एक दिन भी ज़मानत नहीं मिली क्योंकि उन्होंने धर्मांतरण की दुकानों को बंद किया था। #ईसाई कितने शक्तिशाली हैं यह बताने के लिए यह बड़ा उदाहरण है । https://twitter.com/SureshChavhanke/status/1051885698788155392?s=08
🚩3.) आशीष जैन जी का कहना है कि आसाराम बापू को बेल नहीं दी गई क्योंकि वो ईसाई धर्मान्तरण के खिलाफ लड़ रहे थे ।
वो सदैव हिंदुत्व के साथ ही थे किंतु मूर्ख हिंदुओं ने उनपर #MeToo के लिए दोषारोपण किया ।
मैं प्रार्थना करता हूँ कि वो बिना जमानत के ही जेल से बाहर आ जाएं ।
https://twitter.com/jain78ak/status/1051734674119086080?s=19
🚩4.) राजेश तामडे़त जी ने व्यंग करते हुए, देश के कानून की दोहरी छवि पर सवाल उठाते हुए कहा कि गजब है भाई.. इतने संगीन आरोप होने के बाद भी इन्हें बेल मिल गया.. वहीं आशाराम बापू अब भी जेल में हैं… अंग्रेज चले गए पर अपने कानून छोड़ गए…
जाने किसे सजा दे दें, जाने किसे रफा दे दें…
https://twitter.com/RajeshTamret/status/1051718640490274816?s=19
🚩5.) सचिन जी का कहना है कि जज साहब का निर्णय उन्हें संदेह के घेरे में लाता है,,,,  हिंदुओ का धर्म परिवर्तन नहीं होने देने वाले, फर्जी आरोप में बिना सबूत के सालों से जेल में हैं
और धर्म परिवर्तन, रेप करने वाले कुछ ही दिन में बाहर आ गए !
लगता है मोटा चढ़ावा चढ़ा है ।
🚩6.) शकरजीत भदौरिया जी कहते हैं कि
देख लो भाईसाहब, ये है रोम की ताकत
क्रिस्चियन धर्म के लोगों ने विरोध किया नहीं
उनके खिलाफ एक भी व्यक्ति नहीं बोला
न्यूज चैनलों से रिपोर्ट ही गायब रही
अपने यहाँ न्यूज़ चैनलों ने आसाराम बापू के खिलाफ 3 महीने तक लगातार नौटंकी चलाई कितनो ने विरोध किया हमने खुद धर्म का मज़ाक बनाया है ।
https://twitter.com/ShakrajeetB/status/1052045154490564608?s=19
🚩7.) करुणासागर जी लिखते हैं कि फ्रैंको मुल्लकल (54) को चर्च में नन के साथ बार-बार बलात्कार करने के जुर्म में गिरफ्तारी के 3 ही हफ्तों में बेल मिल गई…
आसाराम बापू (74) के केस में छेड़छाड़ के मामले में 2013 से बेल खारिज की गई…
पहले तो उपद्रव चयनात्मक हुआ करते थे अब तो बेल भी चयनात्मक हो गई,
शर्मनाक
https://twitter.com/karunasagarllb/status/1051753782646697984?s=19
🚩8.) जवाहर मंगलमपाल जी कहते हैं कि तो, हमारी न्याय व्यवस्था क्या चर्च के साथ मिलकर फैसला देती है ? और क्या मस्जिद के ऊपर सख्ती से कार्यवाही करने से डरती है ? देश/जनता अब निश्चित ही मान रही है कि न्याय व्यवस्था पक्षपातपूर्ण व्यवहार करती है हिन्दू/हिंदुत्व के साथ ।  क्यूँ आशाराम बापूजी को बेल नहीं मिली जबकि बिशप को मिली? क्या अब ये न्यायपालिका के ऊपर है कि वो किस पर खरी उतरती है ?
https://twitter.com/JMangalampall/status/1051870648228691969?s=08
🚩9.) उधय शंकर जी का कहना है कि  ऐसा लगता है कांग्रेस की सरकार नहीं है फिर भी ये राष्ट्र हिंदुओं के लिए नहीं है, क्या न्यायालय के फैसले मीडिया के चयनात्मक उपद्रवों पर आधरित होते हैं ? फ्रैंको की तुलना में आसाराम बापू के ऊपर लगे आरोपों को दिखाने में मीडिया द्वारा करीब 100 गुणा अधिक समय दिया गया था जबकि फ्रैंको के ऊपर लगे आरोप ज्यादा संगीन हैं ।
https://twitter.com/UDHAYSHANKARTR/status/1051909908910682112?s=19
🚩10.)निशांत जी लिखते हैं कि लेकिन आसाराम बापू को उसी प्रकार के अपराध के लिए सालों से बेल नहीं मिली । क्या कोई  बिशप के केस में मिले इस विशेष मेरिट की व्याख्या कर सकता है?
यहाँ तक कि प्रमुख वकील राम जेठमलानी भी न्यायपालिका को आसाराम के कानूनी मामले पर जमानत देने के लिए नहीं मना पाए ।
यहाँ इस तरह के दो फैसले क्यों ?
https://twitter.com/_nishantsir/status/1051847887313747970?s=19
11. प्रशान्त पटेल उमराव लिखते है कि रेपिस्ट बिशप फ्रैंको के समर्थन में पूरा समुदाय व चर्च खड़ा था और उसे जमानत मिल गयी परंतु चर्च के धर्मांतरण के विरुद्ध लड़ने वाले आसाराम बापू के फर्जी केस में फंसने पर उन्हें गाली देने वाले स्वधर्मी ही हैं । फिर भी आप पूँछते हैं कि लेफ्ट का इकोसिस्टम कैसे भारत में राज कर रहा है ?
https://twitter.com/ippatel/status/1051745760692162560?s=19
🚩ऐसी हजारों ट्वीट्स के द्वारा जनता ने आसाराम बापू के साथ हुए अन्याय को लेकर कानून व्यवस्था पर गहरी नाराजगी जताई है ।
🚩जनता का कहना है कि एक ईसाई पादरी जो धर्मांतरण करवाता है उसे कानून तुरन्त जमानत दे देता है पर जिन संत आसाराम बापू ने धर्मान्तरण पर रोक लगाई, उनकी जमानत की अर्जी को 5 साल से रिजेक्ट किया जा रहा है ।
🚩भारत के इतिहास में कानूनी प्रक्रिया का ऐसा दोगलापन देखकर जनता का मानना है कि न्याय के दोहरे मापदंड से यह लगता है कि ईसाई पादरियों के लिए सब कुछ माफ है, क्या बिशप की जगह कोई हिंदू संत होता तो कोर्ट उसे जमानत दे देता ? कहने को हम आज़ाद हो गए पर विदेशी कानून और उनका प्रभुत्व आज भी जिंदा है ।  न्यायपालिका आज जनता के बीच हंसी का पात्र बनती जा रही है ।
🚩गौरतलब है कि 25 अप्रैल 2018 को हिन्दू संत आसाराम बापू को जोधपुर सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुना दी, लेकिन सजा सुनकर अधिकतर जनता ने सवाल उठाया कि जब मेडिकल रिपोर्ट में कोई प्रूफ नहीं है, लड़की उस समय घटना स्थल पर थी ही नहीं फिर सजा कैसे सुना दी, आश्चर्य है !
🚩आपको बता दें कि आरोप लगाने वाली लड़की ने बताया था कि बापू आसारामजी के सेवादार शिवा ने लड़की को बुलाया था और उनके कमरे तक पहुंचाया था, लेकिन कोर्ट ने शिवा को निर्दोष बरी कर दिया, कोर्ट ने बताया कि शिवा तो उस समय वहाँ था ही नहीं । तो बड़ा सवाल ये है कि जब शिवा वहाँ था ही नहीं तो फिर लड़की अंदर कैसे गई ? इससे साफ पता चलता है कि लड़की झूठ बोल रही है ।
🚩दूसरी बात कि एफ.आई.आर. में कहीं भी बलात्कार किया ऐसा नहीं लिखा है, छेड़छाड़ की है ऐसा लिखा है, लड़की का मेडिकल भी हुआ था उसमें भी दर्शाया गया कि लड़की को एक खरोंच तक नहीं आई, मतलब कि रेप तो छोड़ो छेड़छाड़ भी नहीं हुई है ।
🚩लड़की के कॉल डिटेल के अनुसार घटना की रात लड़की सतत किसी संदिग्ध व्यक्ति के संपर्क में थी और बापू आसारामजी किसी सगाई कार्यक्रम में व्यस्त थे जहाँ सैकड़ों लोग मौजूद थे ।
🚩इन सारे तथ्यों को देखकर लगता है कि हिन्दू संत आसाराम बापू जिस तरह से पूरे विश्व में हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार कर रहे थे और धर्मान्तरण पर रोक लगा रहे थे और करोड़ों लोगों को सन्मार्ग पर ले जा रहे थे जिसके कारण लोगों ने व्यसन, व्यभिचार, बुरी आदतें छोड़ दी और लोग घरेलू उपाय से स्वस्थ होने लगे थे, जिसकी वजह से विदेशी कम्पनियों को अरबों-खरबों रुपयों का नुकसान हुआ, परिणामस्वरूप कुछ नेताओं और मीडिया से मिलकर ईसाई मिशनरियों और विदेशी कंपनियों ने षड्यंत्र के तहत आसारामजी बापू को अंदर करवा दिया, जिससे फिर से वे भारत पर अपना प्रभुत्व जमा सकें ।
🚩लेकिन कहते है न कि “सत्य को परेशान किया जा सकता है पर पराजित कभी नहीं” ऐसे ही भले हिन्दू संत आसाराम बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुना दी पर ऊपरी कोर्ट से वे अवश्य निर्दोष बरी होंगे ऐसा जनता को आज भी विश्वास है ।
🚩पहले भी ऐसे कई केस हुए हैं कि जिसमें निचली कोर्ट ने सजा सुना दी और ऊपरी कोर्ट द्वारा निर्दोष बरी हुए, जैसे कि द्वारका के केशवानंदजी को बलात्कार के केस में 12 साल की सजा हुई और ऊपरी कोर्ट ने 7 साल बाद निर्दोष बरी किया, शंकरचार्य जयेंद्र सरस्वती, स्वामी नित्यानंद जी आदि को भी ऊपरी कोर्ट ने निर्दोष बरी किया था, आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपति को उम्रकैद की सुना दी गई और ऊपरी कोर्ट ने 9 सालों बाद उन्हें निर्दोष बरी कर दिया, ऐसे ही आज भले बापू आसारामजी को उम्रकैद की सजा सुना दी गई है पर ऊपरी कोर्ट से वे भी निर्दोष बरी होंगे, ऐसा बुद्धिजीवी लोगों का कहना है ।
🚩अब सवाल ये है कि जब वे निर्दोष बरी होंगे तब उनका जेल में बर्बाद हुआ समय, पैसे, इज्जत वापिस कौन लौटाएगा ? देरी से न्याय मिलना भी अन्याय के बराबर है । इसपर न्यायप्रणाली को ध्यान देना अत्यंत जरूरी है ।
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